नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में आग लगने की घटना की समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। इस घटना में 17 शिशुओं की मौत हो गई थी।
बुंदेलखंड से संबंध रखने वाले द्विवेदी ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को रविवार को लिखे पत्र में आग लगने की इस घटना की समयबद्ध जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किए जाने की मांग की।
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में 15 नवंबर की रात को लगी भीषण आग के बाद 39 शिशुओं को बचाया गया था। आग लगने की रात 10 शिशुओं की मौत हो गई तथा बाद में सात और शिशुओं ने दम तोड़ दिया।
इस पत्र में वार्ड में कार्यशील अग्निशामक यंत्रों के कथित रूप से नहीं होने समेत गंभीर लापरवाही संबंधी खबरों को रेखांकित किया गया है।
द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि जवाबदेही तय की जानी चाहिए और शोक संतप्त परिवारों को न्याय मिलना चाहिए।
पत्र में लिखा है, ‘‘एनआईसीयू में आग लगना कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं है, बल्कि यह बुंदेलखंड में सरकारी स्वास्थ्य सेवा को प्रभावित करने वाली प्रणालीगत विफलता से जुड़ी घटनाओं का सिलसिला है।’’
उन्होंने कुछ सरकारी चिकित्सकों पर सार्वजनिक सेवा की तुलना में निजी ‘प्रैक्टिस’ को प्राथमिकता देने का भी आरोप लगाया और कहा कि इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा संकट और बढ़ गया है।
उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से सरकारी चिकित्सकों की निजी ‘प्रैक्टिस’ के प्रभाव सहित बड़ी प्रणालीगत समस्याओं से निपटने के लिए जांच के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने का आग्रह किया। अधिवक्ता ने ऐसे चलन पर अंकुश लगाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश देने और दंड का भी प्रस्ताव रखा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आग रात 10 बज कर करीब 45 मिनट पर लगी थी जिसका कारण संभवत: शॉर्ट सर्किट था।
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