दक्षिण अफ्रीका के उच्च न्यायालय ने जारी किया बयान, कहा- COVID-19 मरीजों का सरकारी पृथक केंद्रों में रहना आवश्यक नहीं
दक्षिण अफ्रीका के उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर कोविड-19 के मरीज स्वयं घर में पृथक रह सकते हैं तो सरकार उन्हें देश के पृथक-वास केन्द्र में रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. राष्ट्रीय लॉकडाउन के कुछ नियम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. देश में पिछले 68 दिन से लॉकडान जारी है.
जाहानिसबर्ग, 4 जून: दक्षिण अफ्रीका के उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर कोविड-19 (Covid-19) के मरीज स्वयं घर में पृथक रह सकते हैं तो सरकार उन्हें देश के पृथक-वास केन्द्र में रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. प्रिटोरिया की अदालत के बुधवार को दिए आदेश में देश के पृथक केन्द्र में अनिवार्य रूप से रहने के नियम में बदलाव करते हुए कहा कि ऐसा तभी किया जाए यदि संक्रमित व्यक्ति घर पर पृथक रहने में असमर्थ हो.
कोरोना वायरस से निपटने की सरकार की योजना को यह दूसरा बड़ा झटका है. उच्च न्यायालय (High Court) ने मंगलवार को एक अन्य आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय लॉकडाउन के कुछ नियम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. देश में पिछले 68 दिन से लॉकडान जारी है. अदालत ने बुधवार को एक संगठन 'एफ़्रीफ़ोरम' की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें उसने कहा था कि सरकार का कोविड-19 संक्रमित किसी भी व्यक्ति को देश के पृथक केन्द्रों में रहने के लिए मजबूर करना व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "यह नियम निम्नानुसार लागू होगा और इसकी ऐसे व्याख्या की जाएगी कि यदि कोई भी व्यक्ति जिसे क्लीनिकली या प्रयोगशाला जांच से कोविड-19 होने की पुष्टि हो जाए या जो किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आया हो, उसे देश के कोविड-19 केन्द्रों या अन्य निर्धारित स्थानों पर पृथक रहना होगा लेकिन तभी अगर वह स्वयं घर में पृथक रहने में असमर्थ हो या पृथक रहने के नियमों का उल्लंघन करे."
अदालत ने स्वयं को दूसरों से अलग करने और स्वयं पृथक रहने के नियम भी तय किए. अदालत ने कहा, "स्वयं को अलग करने और स्वयं पृथक रहने के लिए व्यक्ति को एक अलग कमरे में रहना होगा, जहां कोई और व्यक्ति न सोए और न वक्त बिताए. हालत बिगड़ने पर वह व्यक्ति स्वास्थ्य केन्द्र से सम्पर्क करने या वहां लौटने में सक्षम हो." दक्षिण अफ्रीका में अभी तक कोविड-19 के 35,812 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 17,291 लोग ठीक हो चुके हैं और 705 लोगों की जान जा चुकी है.
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