नयी दिल्ली, 19 अप्रैल कोविड-19 से मुकाबले के लिए नव गठित आपात स्थिति प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) और विभिन्न राहत निधियों के तहत प्राप्त धन इसके संवितरण के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। यह बात एक स्वैच्छिक संगठन ने मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) को रविवार को लिखे एक पत्र में कही।
‘सतर्क नागरिक संगठन’ ने कहा कि लाखों लोगों के लिए सरकारी योजनाएं और खाद्य वितरण, स्वास्थ्य देखभाल, मजदूरी और पेंशन से संबंधित कार्यक्रम ऐसे समय में एकमात्र जीवन रेखा हैं जब बड़े पैमाने पर और अचानक आजीविका प्रभावित हुई है।
संगठन ने कहा कि संकट से निपटने के लिए यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा घोषित राहत उपायों से संबंधित सभी प्रासंगिक जानकारी व्यापक रूप से प्रसारित की जाए।
सतर्क नागरिक संगठन की ओर से कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज और अमृता जौहरी द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि ‘‘पारदर्शिता के बिना, इन उपायों के सफल होने की संभावना नहीं है।’’
पत्र में, कार्यकर्ताओं ने सूचना आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि सूचना सरकारी वेबसाइटों पर उपलब्ध कराई जाए और लॉकडाउन के चलते लोगों के आवागमन पर रोक के चलते इसका प्रसार एसएमएस, व्हाट्सऐप, सार्वजनिक घोषणाओं के जरिये तथा राशन की दुकानों, बैंकों, अस्पतालों आदि के माध्यम से व्यापक रूप से या जाए।
पत्र में कहा गया है, ‘‘पीएम केयर्स फंड और उपराज्यपाल/मुख्यमंत्री राहत कोष सहित विभिन्न राहत कोषों के तहत प्राप्त और वितरित किए गए धन के बारे में जानकारी का सार्वजनिक जांच पड़ताल को सक्षम बनाने के लिए भी सक्रिय रूप से खुलासा किया जाना चाहिए। मौजूदा संकट के समय में धनराशि सबसे अधिक प्राथमिकता जरूरतों पर खर्च की जाए इसके लिए प्रासंगिक जानकारी का प्रभावी प्रसार जरूरी है।’’
कार्यकर्ताओं ने लॉकडाउन अवधि के दौरान ऑडियो और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लंबित आरटीआई अपीलों और शिकायतों से संबंधित सुनवाई करने के लिए आयोग की सराहना की।
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