देश की खबरें | विदेशी ऑर्डर पूरा करने के लिए दिन-रात काम में जुटे कोलकाता के मूर्तिकार

कोलकाता, 11 जुलाई पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े पर्व दुर्गा पूजा में अभी लगभग तीन माह शेष है, लेकिन मूर्तिकारों का केंद्र कहे जाने वाले उत्तरी कोलकाता के कुम्हारटोली इलाके में कारीगर विदेशी ऑर्डर को समय पर पूरा करने के लिए दिन-रात मूर्तियों को तराशने में जुटे हुए हैं।

विदेशों से पूजा आयोजकों के ऑर्डर को पूरा करने के लिए अलग-अलग आकार में देवी की मूर्तियों को सावधानीपूर्वक तैयार किया जा रहा है।

इस वर्ष दुर्गा पूजा नौ से 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।

प्रसिद्ध मूर्तिकार कौशिक घोष लंदन की दुर्गोत्सव समिति के लिए आठ फुट से अधिक ऊंची फाइबरग्लास मूर्ति बनाने में जुटे हैं और इसके लिए वह दिन-रात काम कर रहे हैं।

घोष ने कहा, ‘‘इस साल कम से कम 36 मूर्तियां ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, रूस और सिंगापुर जैसे देशों में भेजी जाएंगी। इस खेप का आधा हिस्सा इसी माह समुद्र या हवाई मार्ग से भेजा जाएगा, जबकि बाकी अगस्त तक भेजा जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम हर मूर्ति में मां दुर्गा के ‘साबेकी’ (पारंपरिक) रूप को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, हम कुछ न कुछ खास करने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, लंदन की पूजा में एक ‘एकचाला’ मूर्ति होगी...।’’

एक अन्य कारीगर मिंटू पाल विदेशों की 21 पूजा समितियों के लिए मूर्तियां बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि 11 मूर्तियां पहले ही अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, स्पेन, स्विटजरलैंड और दुबई जैसे देशों में भेजी जा चुकी हैं।

पाल ने कहा, ‘‘छह मूर्तियां अमेरिका भेजी गई हैं, जहां विभिन्न प्रांतों में रहने वाले बंगाली प्रवासी इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। इसी तरह जर्मनी और स्विटजरलैंड में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग भी दुर्गा पूजा के लिए उतने ही उत्साहित रहते हैं।’’

मूर्तिकार मंटू पॉल ने बताया कि उनकी एक मूर्ति पहले ही अमेरिका के फ्लोरिडा भेज दी गई है, तथा उसी स्थान के लिए दो और मूर्तियां बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है।

पॉल ने कहा, ‘‘आने वाले हफ्तों में मूर्तियां जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भेजी जाएंगी।’’

उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की छोटी प्रतिमाओं के इच्छुक आयोजकों के लिए दो ‘एकचाला’ प्रतिमाएं तैयार रखी हैं, जिनमें से प्रत्येक लगभग तीन फीट ऊंची है।

पॉल ने कहा, ‘‘एक मूर्ति की कीमत लगभग 15,000 रुपये है। ये मूर्तियां बंगाली संगठनों या मित्रों के समूहों द्वारा खरीद के लिए उपलब्ध हैं।’’

कारीगर मूर्तियों की बुकिंग प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन मंचों का भी उपयोग कर रहे हैं।

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