कासरगोड (केरल), 12 नवंबर कासरगोड की अदालत से एक छोटा सा गत्ते का डिब्बा लेने के बाद एक दंपति के हाथ दुख और भावनाओं से कांप रहे थे और उनकी आंखें भर आईं। इसका कारण यह था कि डिब्बे में उनकी प्यारी बेटी की खोपड़ी के कुछ हिस्से थे जिसकी 18 साल पहले (जब वह 13 साल की थी) गोवा में हत्या कर दी गई थी।
पुलिस के अनुसार, 13 वर्षीय सोफिया की दिसंबर 2006 में गोवा में हत्या कर दी गई थी। उस समय वह कासरगोड के एक ठेकेदार के.सी. हमसा के घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थी।
पुलिस ने बताया कि वह कथित तौर पर रसोई में गंभीर रूप से जल गई थी और सजा के डर से हमसा ने लड़की की हत्या कर दी और उसके शरीर को टुकड़ों में काटकर गोवा में एक निर्माणाधीन बांध स्थल पर फेंक दिया। शव के टुकड़े 2008 में बरामद हुए थे।
उसने बताया कि बाद में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और एक स्थानीय अदालत ने उसे 2015 में मौत की सजा सुनाई, लेकिन केरल उच्च न्यायालय ने 2019 में उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
अदालत द्वारा दोषी को सजा दिए जाने के बाद माता-पिता को लगा कि उनकी बेटी कम से कम औपचारिक, सम्मानजनक अंतिम संस्कार की हकदार थी।
पड़ोसी कर्नाटक के कुर्ग से ताल्लुक रखने वाली लड़की का परिवार चाहता था कि अदालत उनकी बेटी के शव के टुकड़े सौंप दे ताकि वे अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर सकें।
यहां की मुख्य सत्र अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए सोमवार को उन्हें लड़की की खोपड़ी सौंप दी।
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