Wayanad Landslide Update: केरल के वायनाड में भारी बारिश से लैंडस्लाइट, घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 45 हुई- बचाव अभिायन जारी (Watch Video)
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वायनाड (केरल), 30 जुलाई : केरल के पर्वतीय वायनाड जिले में मंगलवार तड़के कई जगहों पर भारी बारिश के बाद हुईं भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गयी है तथा सैकड़ों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका के कारण मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार तड़के हुईं जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिल पाया. लोग फोन पर मदद की गुहार लगा रहे हैं और बचावकर्मी मलबे से लोगों का निकालने की कोशिशों में जुटे हैं. जिलाधिकारी मेघाश्री डी आर के अनुसार, मृतकों की संख्या 45 हो गयी है. उन्होंने बताया कि चूरलमाला में भूस्खलन में 36 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इसके अलावा, चेलियार नदी में बहे नौ लोगों के शव मलप्पुरम में बरामद किए गए.

मृतकों के शवों को पहचान तथा पोस्टमार्टम के लिए विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में ले जाया जा रहा है. प्राधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं. बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. भारतीय सेना भी बचाव अभियान में शामिल हो गयी है. राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अलावा पुलिस तथा दमकल कर्मियों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया है. सैकड़ों अन्य लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है, लेकिन प्राधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है. यह भी पढ़ें : वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों को हर संभव मदद दी जाए : राहुल गांधी

भूस्खलन से तबाह हुए मकानों और मलबे के ढेर के नीचे फंसे होने के बाद लोग लगातार फोन कर मदद की गुहार लगाते रहे. टेलीविजन चैनलों ने कई लोगों की फोन पर बातचीत प्रसारित की जिसमें वे रो रहे थे तथा किसी से आकर उन्हें बचाने का अनुरोध कर रहे थे क्योंकि वे या तो अपने घरों में फंस गए या पुलों के बह जाने तथा सड़कों के जलमग्न होने के कारण उनके पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है. ऐसी ही एक बातचीत में चूरलमाला शहर निवासी एक महिला को जोर-जोर से रोते हुए यह कहते सुना गया कि उसके घर में कोई व्यक्ति मलबे में फंस गया है और उसे बाहर नहीं निकाला जा सका. महिला को यह कहते हुए सुना गया, ‘‘कृपया कोई आओ और हमारी मदद करो. हमने अपना घर खो दिया है. हमें नहीं पता कि नौशीन (स्पष्ट रूप से परिवार का कोई सदस्य) जीवित है या नहीं. वह दलदल में फंस गयी है. हमारा घर शहर में ही है....’’ राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन ने बताया कि भूस्खलन में घायल हुए 70 से अधिक लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.

केरल सरकार ने बचाव कार्यों के लिए भारतीय सेना की सहायता मांगी है.

एक रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि 122 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) मद्रास की सेकेंड-इन-कमांड के नेतृत्व में 43 कर्मियों की एक टीम को बचाव प्रयासों में सहायता के लिए तैनात किया गया है. इस टीम में एक चिकित्सा अधिकारी, दो जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) और 40 सैनिक शामिल हैं, जो प्रभावित क्षेत्र में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेंगे. वायनाड जिला प्राधिकारियों के अनुसार, एक बच्चे समेत चार लोगों की मौत चूरलमाला शहर में हुई, जबकि थोंडरनाड गांव में एक नेपाली परिवार के एक वर्षीय बच्चे की जान जाने की खबर है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा पांच वर्षीय बच्चे समेत तीन लोगों के शव पोथुकल गांव के पास एक नदी के किनारे से बरामद किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूस्खलन की घटनाओं में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को संकट से निपटने के लिए केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया. मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वायनाड में कुछ जगहों पर भूस्खलन की खबर से व्यथित हूं. मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजन को खोया है और जो घायल हुए हैं, मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. प्रभावित लोगों की मदद के लिए बचाव अभियान जारी है.’’

मोदी ने लिखा, ‘‘केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से बात की और वहां उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.’’ मंगलवार तड़के हुए भूस्खलन ने तबाही के निशान छोड़े हैं. कई मकान जमींदोज हो गए हैं, नदियां उफान पर हैं और कई पेड़ उखड़ गए हैं. सोमवार तक अपने मनोरम दृश्यों के लिए मशहूर मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांवों की अब भूस्खलन की चपेट में आने के बाद तस्वीर बदल गई है और अन्य हिस्सों से उनका संपर्क टूट गया है. बाढ़ के पानी में बहे वाहनों को कई स्थानों पर पेड़ों की टहनियों में फंसे और यहां-वहां डूबे हुए देखा जा सकता है. उफनती नदियों ने अपना मार्ग बदल लिया है और वे रिहायशी इलाकों में बह रही हैं, जिससे और विनाश हो रहा है पहाड़ियों से लुढ़कते बड़े-बड़े पत्थर बचावकर्मियों के रास्ते में बाधा पैदा कर रहे हैं. वायनाड की जिलाधिकारी मेघाश्री ने बताया कि प्रभावित इलाकों में आपदा राहत कार्य जारी है और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), दमकल विभाग, पुलिस तथा वन, राजस्व एवं स्थानीय स्वशासित विभाग युद्ध स्तर पर बचाव अभियान संचालित कर रहे हैं.

मेघाश्री के अनुसार, सरकारी एजेंसियों के साथ ही स्वयंसेवी और स्थानीय निवासी भी बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं. जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि करमन्थोडु नदी पर बाणासुर सागर बांध के द्वार खोल दिए गए हैं और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है. इससे पहले, संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के विधायक टी सिद्दिकी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि जिला प्राधिकारी मुंडक्कई क्षेत्र में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से बाहर निकालने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "फिलहाल हमारे पास भूस्खलन के कारण लापता लोगों और मृतकों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. कई इलाकों का संपर्क टूट गया है. एनडीआरएफ के जवान इन जगहों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं." वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर तलाश एवं बचाव अभियान में मदद के लिए जल्द ही सुलूर से वायनाड के लिए उड़ान भरेंगे.