देश की खबरें | केरल उच्च न्यायालय ने दहेज को लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

कोच्चि, नौ जुलाई केरल उच्च न्यायालय ने एक रिट याचिका पर शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें दहेज निषेध अधिनियम, 1961 में संशोधन और इसे कठोरता से लागू करने की अपील की गई है।

मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पूछा कि कानून को सख्ती से लागू क्यों नहीं किया जा रहा।

अदालत ने पूछा कि दहेज संबंधी मौत के मामले लगातार सामने आने के बाद भी दहेज निषेध अधिकारियों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई।

विक्रम साराभाई साइंस फाउंडेशन की सीईओ इंदिरा राजन ने यह याचिका दाखिल की है। याचिका में सभी सरकारी सेवकों को एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश देने की अपील की गई है कि उन्होंने किसी तरह दहेज नहीं लिया है।

याचिका में कहा गया है, "दहेज एक सामाजिक कलंक है जो महिलाओं के प्रति अकल्पनीय यातना और अपराध का कारण बनता है। इस बुराई ने समाज के सभी वर्गों की कई निर्दोष महिलाओं की जान ले ली है।"

सरकार और उसकी मशीनरी का ढुलमुल रवैया इसका मूल कारण है।

याचिका में कहा गया है कि हालांकि संसद ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 पारित किया है, लेकिन यह उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकता, जिसकी जरूरत है। न ही यह दहेज को समाप्त कर सकता।

याचिका के अनुसार देश में 2010 में दहेज से 8,391 मौतें हुई हैं, यानी प्रति 1,00,000 महिलाओं में से 1.4 मौतें हुई हैं। देश में हर साल हत्या के जितने मामले दर्ज किये जाते हैं उनमें से 40 से 50 प्रतिशत मौत इसी कारण होती हैं।

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