
बेंगलुरु, 10 जून कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ‘डेजी’ नामक बिल्ली चुराने के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को मंगलवार को खारिज कर दिया।
जब मामला न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘डेजी नामक बिल्ली ने सभी को पागल कर दिया।’’
इसके बाद उन्होंने ताहा हुसैन के खिलाफ कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिन्होंने दावा किया था कि उनके पड़ोसी ने उनके खिलाफ झूठा पुलिस मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उनकी बिल्ली को चुरा लिया।
याचिकाकर्ता ने 2023 में दर्ज मामले को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। मामले में 23 जुलाई, 2024 को सुनवाई हुई थी। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने तब हुसैन को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने कहा था, ‘‘ऐसे तुच्छ मामलों में आगे कार्यवाही की अनुमति देने से आपराधिक न्याय प्रणाली अवरुद्ध हो जाएगी।’’
जुलाई 2024 में प्राथमिकी के बाद, पुलिस ने हुसैन के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया था। हुसैन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 506 और 509 के तहत आपराधिक धमकी, शांति भंग करने और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि इलाके के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की गई और एक खास समय पर बिल्ली को हुसैन के घर के अंदर देखा गया।
हुसैन के वकील ने उस समय दलील दी थी कि बिल्लियां खिड़कियों के माध्यम से एक घर से दूसरे घर में आती-जाती हैं तथा यह अपराध का मामला नहीं हो सकता।
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