बेंगलुरू, सात दिसंबर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने शनिवार को नागरिकों से सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में उदारतापूर्वक योगदान देने का आह्वान किया, जो युद्ध विधवाओं, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और पुनर्वास के लिये है।
गहलोत ने यहां राजभवन में आयोजित सशस्त्र सेना झंडा दिवस कार्यक्रम के दौरान यह अपील की।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गहलोत ने देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने सशस्त्र सेना झंडा दिवस के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि यह भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति गहरा सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, जो देश की सुरक्षा के लिए सतर्क रहते हैं।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘भारतीय सेना की एक विशिष्ट विरासत है और इसे दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक माना जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैनिक न केवल संघर्षों के दौरान देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि संकटों और आपदाओं के दौरान अमूल्य सहायता भी प्रदान करते हैं।’’
गहलोत ने सैनिकों, युद्ध विधवाओं और भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण एवं पुनर्वास को बढ़ावा देने में भारत सरकार के समर्पित प्रयासों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में राज्य और जिला सैनिक बोर्डों के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग की भूमिका की सराहना की।
राज्यपाल ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की भी सराहना करते हुए कहा, ‘‘आज हमारी सेना आधुनिक प्रौद्योगिकी और उन्नत हथियारों से लैस है और हमें इस प्रगति पर बहुत गर्व है।’’
उन्होंने गैर सरकारी संगठनों, उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट निकायों से आग्रह किया कि वे सहायता कार्यक्रम तैयार करके पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की सहायता करने में सक्रिय रूप से भाग लें।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में योगदान से देश की सेवा करने वालों की शिक्षा, चिकित्सा देखभाल और पुनर्वास जैसी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलती है।
कार्यक्रम के दौरान, राज्यपाल ने सशस्त्र सेना झंडा और सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में सुविधाजनक दान के लिए एक क्यूआर कोड का भी अनावरण किया।
रंजन माधव
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