बेंगलुरु, सात जनवरी कर्नाटक में कांग्रेस के पक्ष में अनुसूचित जाति (एससी)-अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के समर्थन को मजबूत करने के नाम पर समुदाय के मंत्रियों, विधायकों और नेताओं की एक बैठक बुधवार शाम को होने वाली है, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धरमैया शायद इस बैठक का हिस्सा नहीं होंगे।
इसी सप्ताह, मंत्रिमंडल में शामिल एससी समुदाय के सहयोगियों के साथ सिद्धरमैया ने रात्रिभोज में हिस्सा लिया था, जिसके बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं।
इस साल मार्च के बाद राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच ये बैठकें हो रही हैं।
दो जनवरी को रात्रिभोज का आयोजन लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर किया गया था, जिसमें समाज कल्याण मंत्री एच सी महादेवप्पा, गृह मंत्री जी परमेश्वर और सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना शामिल हुए थे। बुधवार की बैठक परमेश्वर के नेतृत्व में आयोजित की जा रही है।
परमेश्वर ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल कोई 'पार्टी' नहीं, बल्कि रात्रिभोज है। हम आने वाले दिनों में एससी/एसटी सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। हमने विधानसभा चुनाव से पहले समर्थन मांगने के लिए चित्रदुर्ग में एससी/एसटी सम्मेलन आयोजित किया था। एच सी महादेवप्पा, सतीश जारकीहोली, के एच मुनियप्पा, शिवराज तंगदागी और मैंने (सभी अब मंत्री हैं) इसका नेतृत्व किया था। चुनाव और सत्ता में आने के बाद हमने कभी धन्यवाद सम्मेलन नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के सम्मेलन के आयोजन के उद्देश्य से कल एससी/एसटी समुदायों के सभी विधायक, पूर्व विधायक, पार्टी पदाधिकारी एकत्रित हो रहे हैं। बैठक में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि इसे कहां, कब आयोजित किया जाए और अन्य बातों पर चर्चा की जाएगी। बैठक शाम को है, इसलिए रात्रिभोज का आयोजन किया गया है।’’
परमेश्वर ने कहा कि एससी/एसटी सम्मेलन की योजना कांग्रेस द्वारा पार्टी के बैनर तले आयोजित किया जाएगा तथा अन्य लोग भी इससे जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव से पहले चित्रदुर्ग में आयोजित बैठक में प्रस्ताव पारित किए गए थे। हम कल बैठक में इस पर चर्चा करेंगे। एससी/एसटी मंत्री, विधायक तथा नेता पहले इस पर चर्चा करेंगे तथा उसके बाद इसे अन्य मंत्रियों तथा मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे।’’
इस तरह की बैठक को बाहर अलग तरह से पेश किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि इसे अलग तरीकों से पेश किया जा रहा है, क्या हमें एकजुट नहीं रहना चाहिए? कोई भी इसे जिस तरह से चाहे व्याख्या कर सकता है। एससी/एसटी समुदाय हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ा रहा है। उन्हें हमारे साथ बने रहना चाहिए। जिला और तालुक पंचायत चुनाव होने वाले हैं। जब हम सत्ता में हैं तो हमें इन समुदायों की बात सुननी चाहिए।’’
पिछले सप्ताह हुई बैठक के बारे में पता चला है कि चर्चा अहिंदा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड़ में संक्षिप्त नाम) समर्थन आधार को मजबूत करने के बारे में थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने भाग लिया था। ‘अहिंदा’ को सिद्धरमैया का मजबूत जनाधार माना जाता है।
राज्य बजट के बाद नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच इस बैठक से कई तरह की चर्चा शुरू हो गई। सिद्धरमैया का समर्थन करने वाले कांग्रेस के एक वर्ग का मानना है कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए और मुख्यमंत्री पद ‘अहिंदा’ के पास ही रहना चाहिए।
दो जनवरी की बैठक के बारे में पूछे गए सवाल पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘नए साल के अवसर पर आंतरिक रूप से कुछ मामलों पर चर्चा करने के लिए हम रात्रिभोज पर मिले थे और मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर भोजन परोसा जाएगा तो वह भी शामिल होंगे...हमने भोजन किया। कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। मुझे लगता है कि इसे अलग तरीके से पेश करने की कोई जरूरत नहीं है।’’
रात्रिभोज की यह बैठक ऐसे समय हुई जब मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार विदेश में थे। विदेश से लौटने के बाद दिल्ली में मौजूद शिवकुमार ने कहा कि उन्हें बैठक के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बाहर था। मुझे जानकारी नहीं है। बेंगलुरु जाकर मैं जानने की कोशिश करूंगा।’’
मई 2023 में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी और कांग्रेस शिवकुमार को मनाने में कामयाब रही और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया।
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