देश की खबरें | न्यायमूर्ति शाह अदालत में हुए भावुक; कहा- मैं सेवानिवृत्त होने वाला इंसान नहीं, नई पारी शुरू करूंगा

नयी दिल्ली, 15 मई उच्चतम न्यायालय के चौथे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश एम आर शाह अपने अंतिम कार्यदिवस पर सोमवार को अदालत कक्ष में भावुक हो गए और कहा कि वह सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति नहीं हैं तथा वह जीवन में एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक रस्मी पीठ में शामिल न्यायमूर्ति शाह अपने संबोधन के अंत में रो पड़े। उन्होंने राज कपूर के मशहूर गीत की पंक्तियां ‘‘जीना यहां, मरना यहां’’ को उद्धृत किया।

न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ‘‘मैं सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति नहीं हूं और मैं अपने जीवन की एक नयी पारी की शुरुआत करने जा रहा हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि वह मुझे नयी पारी खेलने के लिए शक्ति और साहस तथा अच्छा स्वास्थ्य दें।’’

उन्होंने रुंधे गले से कहा, ‘‘विदाई से पहले मैं राज कपूर के एक गीत को याद करना चाहता हूं- ‘कल खेल में हम हो न हो, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा’।’’

दो नवंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त हुए न्यायमूर्ति शाह की सेवानिवृत्ति से शीर्ष अदालत में अब न्यायाधीशों की संख्या भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) समेत 32 रह जाएगी। इससे एक दिन पहले न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी सेवानिवृत्त हुए थे।

उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है।

न्यायमूर्ति शाह को विदाई देने के लिए गठित रस्मी पीठ की अगुवाई करते हुए सीजेआई ने सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीश के साथ अपने जुड़ाव को याद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति शाह से मेरा नाता तब का है जब मैं भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल था और हमारी दोस्ती तब गहरी हुई, जब वह (न्यायमूर्ति शाह) उच्चतम न्यायालय आए। हम कोविड जैसे मुश्किल वक्त में एक साथ (पीठ में) बैठे थे।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं जब सीजेआई के तौर पर इस पावन अवसर की अध्यक्षता से मुक्त होऊंगा, तब शाम को आप लोगों को कुछ मजेदार किस्से सुनाऊंगा। शाम को फिर मैं आपसे न्यायमूर्ति शाह के मित्र के रूप में बात करूंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति एम आर शाह के साथ बैठना तथा पीठ में सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई करना खुशी की बात रही।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘वह (न्यायमूर्ति शाह) हमेशा चुनौती के लिए तैयार रहते हैं और कोविड के दौरान भी, मैंने पाया कि जब हम अपने घरों में बैठे थे और हम कुछ बड़े मामलों की सुनवाई कर रहे थे तो वह हमेशा किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहते थे।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘वह कभी भी काम से भागने वाले व्यक्ति नहीं थे। अगर मैं उन्हें कोई फैसला भेजता तो वह रात भर में उनकी टिप्पणियों के साथ वापस आ जाता था और पूरी तरह पढ़ा हुआ होता था। अगर मैं उन्हें एक वरिष्ठ सहकर्मी के तौर पर कोई फैसला लिखने के लिए भेजता था तो वह भी उसी तरह 48 घंटे के भीतर मेरी मेज पर होता था।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘कई मायनों में मैंने कानूनी पेशों, हमारी जिला न्यायपालिका और हमारे उच्च न्यायालयों के उनके सांसारिक ज्ञान पर भरोसा किया, क्योंकि वह गुजरात और पटना में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।’’

न्यायमूर्ति शाह ने उनकी मदद करने के लिए बार तथा उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और उनके कर्मियों का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मैं इसके लायक हूं या नहीं लेकिन मैं इसे विदाई उपहार के रूप में स्वीकार करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अपने कार्यकाल के दौरान, अगर मैंने किसी की भावनाएं आहत की तो मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं। यह जान-बूझकर नहीं किया होगा। मैंने अपने काम को हमेशा पूजा की तरह माना...मैं आपके प्यार और स्नेह से अभिभूत हूं। मैं बार तथा रजिस्ट्री के सभी सदस्यों का आभार जताता हूं। मैं अपने कार्यालय तथा आवास में सहयोगी कर्मियों का भी आभार जताता हूं।’’

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा विभिन्न वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अन्य लोगों ने न्यायमूर्ति शाह के अंतिम कामकाजी दिन पर उन्हें बधाई दी।

मेहता ने कहा, ‘‘मैं ‘मॉय लॉर्ड’ को एक न्यायाधीश और एक वकील के रूप में भी जानता हूं, वह चुनिंदा साहसी न्यायाधीशों में से एक हैं, जिन्हें मैं जानता हूं...आपने जितने फैसले लिखे वे दिखाते हैं कि आपके परिवार पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है और अब उन्हें आपका वक्त जरूर मिलेगा।’’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि वह लंबे वक्त से न्यायमूर्ति शाह को जानते हैं और वह एक वकील की तरह निर्भीक हैं।

न्यायमूर्ति मुकेशकुमार रसिकभाई शाह का जन्म 16 मई 1958 को हुआ था और वह 19 जुलाई 1982 को वकील के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस की और भूमि, संविधान तथा शिक्षा मामलों में विशेषज्ञता हासिल की।

उन्हें सात मार्च 2004 को गुजरात उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 22 जून 2005 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।

न्यायमूर्ति शाह को 12 अगस्त 2018 को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। उन्हें दो नवंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह 15 मई 2023 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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