नयी दिल्ली, एक जुलाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उसने दिव्यांग छात्रों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण के आदेश का कभी उल्लंघन नहीं किया है और 2020-21 के शैक्षणिक वर्ष में सभी पाठ्यक्रमों में यह मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
जेएनयू ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष दाखिल एक हलफनामे में यह दावा किया। पीठ ने 11 जून को एक याचिका पर नोटिस जारी किया था। याचिका में दावा किया गया है कि जेएनयू ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 में दिव्यांग श्रेणी के लिए पांच प्रतिशत से कम सीटें रखी हैं।
यह याचिका दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन जावेद आबिदी फाउंडेशन ने दायर की है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि जेएनयू को उसकी दाखिला नीति और विवरणिका (प्रॉस्पेक्टस) में संशोधन करने के लिए निर्देश दिए जाएं।
जेएनयू ने केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा के माध्यम से दायर अपने हलफनामे में इस आरोप का खंडन किया है कि वह दिव्यांग छात्रों के लिए पांच प्रतिशत सीटें नहीं आरक्षित कर रही है।
उसने कहा कि वह दिव्यांग छात्रों को अपने विभिन्न केंद्रों और स्कूलों के लगभग सभी पाठ्यक्रमों में आरक्षण प्रदान कर रहा है।
जेएनयू ने यह भी दावा किया कि विश्वविद्यालय के नियम और दिव्यांगता कानून के अनुरूप हैं।
मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
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