देश की खबरें | जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को तत्काल सड़क से अवरोधक हटाने को कहा, कार्रवाई की चेतावनी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष और दो अन्य को नोटिस जारी कर विश्वविद्यालय के उत्तरी प्रवेश द्वार वाली सड़क से अवरोधकों को तत्काल हटाने को कहा है। नोटिस में ऐसा करने में विफल रहने पर ''सख्त कार्रवाई'' की चेतावनी दी गई है।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष और दो अन्य को नोटिस जारी कर विश्वविद्यालय के उत्तरी प्रवेश द्वार वाली सड़क से अवरोधकों को तत्काल हटाने को कहा है। नोटिस में ऐसा करने में विफल रहने पर ''सख्त कार्रवाई'' की चेतावनी दी गई है।

जेएनयू छात्रसंघ 17 अक्टूबर से विश्वविद्यालय के द्वार पर धरना दे रहा है। उनकी मांग है कि शोध छात्रों को अपना शोधपत्र जमा कराने की अवधि बढ़ाई जाए और स्नातक एवं परास्नातक छात्रों के लिए अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने की समयावधि को भी विस्तारित किया जाए। छात्र संघ उन छात्रों को लेकर यह मांग कर रहा है जिन्हें कोविड-19 महामारी और उसके बाद लागू देशव्यापी लॉकडाउन के चलते कठिनाई का सामना करना पड़ा।

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नोटिस में आरोप लगाया गया कि सड़क पर अवैध कब्जा किए जाने के कारण निवासियों, आगंतुकों और विश्वविद्यालय में आने-जाने वाले अन्य लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह वाहनों एवं लोगों की आवाजाही का मुख्य मार्ग है।

घोष ने कहा कि जेएनयू छात्रसंघ अपना ''धरना-प्रदर्शन जारी रखेगा और अपने आंदोलन को और तेज करेगा।''

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उन्होंने छात्रसंघ सदस्य मोहम्मद दानिश को नोटिस दिए जाने को लेकर जेएनयू प्रशासन की कड़ी आलोचना की जोकि डेंगू होने के कारण अस्पताल में भर्ती है।

दानिश को जारी नोटिस के मुताबिक, '' जेएनयू सुरक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय द्वार से सटी सड़क पर अवैध रूप से कब्जा किए जाने संबंधी सूचना 17 अक्टूबर 2020 को दी गई, जिसका चीफ प्रोक्टर कार्यालय ने संज्ञान लिया है। मोहम्मद दानिश ने कुछ अन्य छात्रों के साथ मिलकर सड़क को बाधित कर वहां टेंट लगा दिया है और जेएनयू नियंत्रण कक्ष से टेंट के लिए बिजली का कनेक्शन भी ले लिया है।''

नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि यह कृत्य सार्वजनिक स्थान पर अवैध कब्जा करने के खिलाफ दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले का भी खुला उल्लंघन है।

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