श्रीनगर, 23 दिसंबर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य आगा रूहुल्ला मेहदी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।
मेहदी ने अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त किये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू मौजूदा आरक्षण नीति के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने घोषणा की थी।
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों को आरक्षण दिए जाने के साथ ही सामान्य श्रेणी घटकर मात्र 30 प्रतिशत रह गई है जबकि 70 प्रतिशत सीट विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षित हैं।
चिकित्सा और शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्र इस नीति का विरोध कर रहे हैं।
बारामूला से लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर और कट्टर प्रतिद्वंद्वी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता वहीद पारा और इल्तिजा मुफ्ती समेत कई राजनेताओं ने नेकां नेता द्वारा अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया।
अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी आरक्षण को तर्कसंगत बनाने की मांग की है।
पुलवामा से पीडीपी विधायक ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह ‘आरक्षण नीतियों को तर्कसंगत और निष्पक्ष बनाने’ की मांग में युवाओं के साथ खड़े होने के रूहुल्ला के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा, “यह दबावपूर्ण शिकायतों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है कि हमारी नीतियां समावेशी, युवा-हितैषी और न्यायपूर्ण हों।”
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आरक्षण के मुद्दे को जिम्मेदार लोगों द्वारा न्याय और निष्पक्षता के साथ हल किया जाना चाहिए और समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “आरक्षण की वर्तमान स्थिति सामान्य श्रेणी के हितों को कम करती है। उनकी समस्याओं को तुरंत दूर करने की जोरदार अपील! विरोध प्रदर्शन का समर्थन करें।”
मीरवाइज ने कहा कि अगर अधिकारियों द्वारा अनुमति दी जाती है तो वह विरोध प्रदर्शन का हिस्सा होंगे।
आवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद और मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी भी आरक्षण को तर्कसंगत बनाने के समर्थन में विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए एक उप-समिति का गठन किया है लेकिन वह इस मामले में अदालत के निर्देशों का पालन करेगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)