बॉर्डर पर शांति बहाली के लिए Pak के बाद चीन से हुई बातचीत

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को चीन के विदेश मंत्री के साथ पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पर ‘मास्को समझौते’ के क्रियान्वयन तथा सैनिकों की वापसी की स्थिति की समीक्षा की. शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर पिछले वर्ष 10 सितंबर को मास्को में हुई बैठक में जयशंकर और वांग यी ने पांच बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की थी.

भारत और चीन के सैनिक (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने बृहस्पतिवार को चीन (China) के विदेश मंत्री के साथ पूर्वी लद्दाख (Ladakh) सीमा गतिरोध पर ‘मास्को समझौते’ के क्रियान्वयन तथा सैनिकों की वापसी की स्थिति की समीक्षा की. शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर पिछले वर्ष 10 सितंबर को मास्को में हुई बैठक में जयशंकर और वांग यी ने पांच बिन्दुओं पर सहमति व्यक्त की थी. इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करने, सैनिकों के तेजी से पीछे हटने, तनाव बढ़ाने वाले किसी कदम से बचने और सीमा प्रबंधन पर प्रोटोकाल का पालन जैसे कदम शामिल हैं. भारत, पाकिस्तान ने संघर्ष विराम समझौतों का पालन करने पर जताई सहमति

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आनलाइन माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि चीन के साथ सैनिकों के पीछे हटने के समझौते के तहत देश ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई बल्कि एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव के प्रयास को रोकने के लिये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएससी) की निगरानी की व्यवस्था लागू की.

उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और पीछे हटने की प्रक्रिया को गलत ढंग से पेश नहीं किया जाना चाहिए. लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि वास्तुस्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के बयान में अच्छी तरह स्थिति स्पष्ट की गई है . इसमें मीडिया में आई कुछ गुमराह करने वाली और गलत टिप्पणियों के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई है.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस समझौते की वजह से भारत ने अपनी कोई जमीन नहीं खोई. इसके विपरीत, उसने एलएसी पर निगरानी लागू की और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव को रोका.’’

गौरतलब है कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था. बीस फरवरी को मोल्दो/ चुशूल सीमा पर चीनी हिस्से पर चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर आयोजित किया गया था.

इस संबंध में जारी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया था कि इसमें दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो क्षेत्र में अग्रिम फौजों की वापसी का सकारात्मक मूल्यांकन किया और इस बात पर जोर दिया कि यह एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अन्य शेष मुद्दों के समाधान के लिए एक अच्छा आधार प्रदान किया. पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अन्य मुद्दों पर उनके विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान हुआ.

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