यूरोपीय संघ ने मलेशिया से आयात किए जाने वाले पाम ऑयल में कटौती कर दी है. इसके जवाब में मलेशिया अब चीन को निर्यात किए जाने वाले पाम ऑयल की मात्रा को दोगुना करना चाहता है. आखिर इन सब के पीछे की वजह क्या है?यूरोपीय संघ (ईयू) पाम ऑयल से बनने वाले जैव ईंधन के आयात को 2030 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना चाहता है. साथ ही, इस साल की शुरुआत में ईयू ने वनों की कटाई को रोकने का प्रयास करते हुएब्रसेल्स में एक नया कानून अपनाया है. इस कानून की वजह से ईयू में अपना माल बेचने के इच्छुक पाम ऑयल निर्यातकों पर काफी ज्यादा प्रशासनिक बोझ पड़ेगा. नए नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाम ऑयल सहित यूरोपीय संघ में बेची जाने वाली रोजमर्रा की वस्तुओं की आपूर्ति के लिए वनों की कटाई न हो.
इंडोनेशिया ने पाम ऑयल निर्यात पर बैन लगाया
दुनिया के दो बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया ने इस नए नियम को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे यूरोपीय संरक्षणवाद जैसा बताया है. वहीं दूसरी ओर, इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है कि अगर ये दोनों देश अपने निर्यात के लिए चीन पर निर्भर हो जाते हैं, तो यूरोपीय संघ का कानून लागू होने के बावजूद पर्यावरण को लाभ नहीं मिलेगा.
चीन को पाम ऑयल का निर्यात
इस महीने की शुरुआत में, चीन-आसियान एक्सपो में मलेशिया और चीन के बीच 4.1 अरब डॉलर के निवेश सौदे पर हस्ताक्षर किए गए. जापानी मीडिया संस्थान निक्केई एशिया के मुताबिक, मलेशिया की सरकारी कंपनी सिमे डार्बी ऑयल्स इंटरनेशनल और चीन के गुआंग्शी बाइबू गल्फ इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप ने चीनी शहर किंजो में रिफाइंड पाम ऑयल के लिए, 500 मिलियन यूरो के व्यापार और वितरण केंद्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने एक्सपो के दौरान कहा कि उनका देश कुछ वर्षों के भीतर चीन को निर्यात किए जाने वाले पाम ऑयल की मात्रा को दोगुना करके 5 लाख टन सालाना कर देगा. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अनवर ने कहा, "यह पहली बार है जब चीन ने पाम ऑयल की मात्रा में काफी ज्यादा वृद्धि करने के लिए कहा है. आमतौर पर कीमतों और जरूरत के हिसाब से इस पर फैसला लिया जाता है, लेकिन इस बार यह चीन से एक निश्चित आयात समझौता है. इससे देश में छोटे पैमाने पर पाम ऑयल का उत्पादन करने वालों को भी लाभ मिलेगा.”
यूरोपीय संघ के आयात में कटौती की वजह क्या है?
नॉटिंघम विश्वविद्यालय के एशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट मलेशिया की मानद शोध सहयोगी ब्रिजेट वेल्श ने कहा, "अगर निर्यातक चीन जैसे वैकल्पिक बाजारों का रुख करते हैं, तो मलेशिया जैसे देशों में पाम ऑयल की खेती में सुधार करने के लिए ब्रसेल्स में की गई बैठक के प्रयास ‘व्यर्थ' साबित हो सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ मलेशिया और इंडोनेशिया, चीन पर निर्भर होंगे बल्किभविष्य में यूरोपीय संघ बाजार से बाहर हो सकता है. साथ ही, इससे चीन के लिए आयात से जुड़ी बेहतर परिस्थितियां भी बनेंगी. वेल्श ने कहा, "इसके अलावा, यूरोपीय संघ की प्रतिष्ठा पर उस नीति की वजह से असर हुआ है जिसके तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई उत्पादकों से आयात की जगह अपने खुद के वनस्पति तेलों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है." वेल्श ने इन आरोपों का संदर्भ देते हुए कहा कि यूरोपीय संघ के निर्देशों का उद्देश्य सिर्फ यूरोप में उत्पादित सफेद सरसों और सूरजमुखी के तेल जैसे जैव ईंधन को लाभ पहुंचाना है.
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में रहने वाले विश्लेषक और रिफॉर्मसी इंफॉर्मेशन सर्विसेज कंसल्टेंसी के प्रिंसिपल केविन ओरूर्के ने कहा, "इंडोनेशिया के ज्यादातर पाम ऑयल क्षेत्र पर मलेशिया का मालिकाना हक है. इसलिए, चीन और मलेशिया के बीच हुए समझौते का असर इंडोनेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन करने वालों पर भी पड़ सकता है.”
मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड के अनुसार, इस साल की पहली छमाही में मलेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन 2.3 फीसदी गिर गया. वहीं, सरकारी एफजीवी होल्डिंग्स को मिलने वाला राजस्व कथित तौर पर आधा हो गया.
सिंगापुर में एस राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के रिसर्च फेलो और लेक्चरर फ्रेडरिक क्लीम ने कहा, "जब निर्यातक ऐसे बाजार का रुख करते हैं जहां पर्यावरण से जुड़ी पाबंदियां न हों या काफी कम हों, तो इस ‘लीकेज' के जोखिम में भी यूरोपीय संघ को पर्यावरण कानून पारित करना चाहिए.”
क्लीम ने आगे कहा, "हालांकि, चीन की ओर मलेशिया के संभावित झुकाव से यह याद रखा जाना चाहिए कि ‘व्यापार पर प्रतिबंध' अंतिम उपाय हो. इसे लागू करने से पहले, अन्य सभी उपायों पर विचार करना चाहिए.”
साझा दृष्टिकोण
यूरोपीय संघ और पाम ऑयल उत्पादक देश, दोनों ने मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. यूरोपीय संघ ने अपने फैसले के बारे में समझाने के लिए मलेशिया और इंडोनेशिया में कई प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं. उन्होंने कहा कि उनका इरादा दुनिया भर में पर्यावरण से जुड़े मानकों में सुधार करना है. यह यूरोपीय संघ की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है.
यूरोपीय संघ के अधिकारी इस बात पर जोर देते हैं कि उन्होंने पाम ऑयल पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया है. ईयू ने जुलाई 2022 और जून 2023 के बीच लगभग 40 लाख टन पाम ऑयल आयात किया है. हालांकि, यह पिछले वर्ष आयात किए गए ऑयल के 20 फीसदी से भी कम था.
यूरोपीय संसद की अंतरराष्ट्रीय व्यापार समिति के अध्यक्ष बर्नड लैंग ने कहा, "यूरोपीय संघ वैश्विक स्तर पर पाम ऑयल का एक प्रमुख उपभोक्ता बना हुआ है. उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या और समृद्ध मध्यम वर्ग की वजह से ऐसा अनुमान है कि यह निर्यातकों के लिए आकर्षक बाजार बना रहेगा. यूरोपीय संघ और मलेशिया जैसे देश, दोनों का यह साझा दृष्टिकोण है. इस विषय पर मलेशिया और इंडोनेशिया के प्रतिनिधियों के साथ लगातार मेरी बातचीत हो रही है.”
लैंग ने कहा, "हमारा काम बेहतर रणनीतियों के साथ तालमेल बैठाना है. साथ ही, चुनौतियों को दूर करने और संभावित उपाय तलाशने के लिए मिलकर काम करना है. हमें उत्पादक देशों के साथ मिलकर इस पर विचार करने की जरूरत है.”
ईयू-आसियान बिजनेस काउंसिल के कार्यकारी निदेशक क्रिस हम्फ्री ने कहा कि ईयू के निर्देश की वजह से निर्यातकों पर नियमों का पालन करने का बोझ बढ़ेगा. हालांकि, ऐसा करने में उन्हें काफी ज्यादा परेशानी नहीं होगी और ईयू बाजार उनके लिए व्यवहारिक बना रहेगा.