देश की खबरें | बाबासाहेब का अपमान भाजपा-आरएसएस के पुराने ‘प्रोजेक्ट’ का हिस्सा, इस्तीफा दें शाह: कार्य समिति

बेलगावी, 26 दिसंबर कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के कथित अपमान को लेकर बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देने के साथ ही देश से माफी मांगनी चाहिए।

कार्य समिति की बैठक के बाद पारित प्रस्ताव में ‘एक देश-एक चुनाव’ संबंधी विधेयक, मंदिर-मस्जिद विवाद, मणिपुर की स्थिति, चीन के साथ सीमा समझौते, अर्थव्यवस्था की स्थिति और कुछ अन्य मुद्दों का उल्लेख करते हुए सरकार पर निशाना साधा गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान संविधान को कमज़ोर करने के आरएसएस-भाजपा के दशकों पुराने ‘प्रोजेक्ट’ का सबसे ताज़ा उदाहरण है। कार्य समिति केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफ़े के साथ-साथ देश से माफी मांगने की मांग दोहराती है।’’

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कार्य समिति हमारे लोकतंत्र में लगातार आ रही गिरावट से बेहद चिंतित है। न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग और मीडिया जैसी संस्थाओं का कार्यपालिका के दबाव के जरिए राजनीतिकरण किया गया है। संसद की साख को ख़त्म कर दिया गया है। हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष द्वारा जिस तरह कार्यवाही में बाधा डाली गई, उसे पूरे देश ने देखा।’’

कार्य समिति ने दावा किया कि संविधान के संघीय ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक से इसे विशेष रूप से ख़तरा है।

उसने कहा, ‘‘भारत के निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर चुनाव संचालन नियम 1961 में किए गए केंद्र के संशोधन की वह निंदा करती है जो चुनावी दस्तावेजों के महत्वपूर्ण हिस्सों तक सार्वजनिक पहुंच को रोकता है। यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर करता है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला हैं। हमने इन संशोधनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। ख़ासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में जिस तरह से चुनाव कराए गए हैं, उसने पहले ही चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को खत्म कर दिया है।’’

कार्य समिति ने देश के कई स्थानों पर सांप्रदायिकता और जातीय घृणा के मामलों को लेकर चिंता जताई।

उसने कहा, ‘‘2023 से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर को प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री ने इस अशांत राज्य का दौरा नहीं किया है।’’

कार्य समिति ने आरोप लगाया कि राजनीतिक लाभ के लिए संभल और अन्य स्थानों में जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काया गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम, 1991, जिसके प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, भी अनावश्यक बहस के दायरे में आ गया है।’’

कार्य समिति ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना जल्द से जल्द करायी जाए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि समाज के इन तीन पारंपरिक रूप से वंचित समूहों को और ज़्यादा लाभ मिल सके।

उसने कहा, ‘‘आरक्षण उचित माध्यमों से निर्धारित सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए।’’

कांग्रेस कार्य समिति ने दावा किया कि देश की अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी से गुजर रही है।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां केवल प्रधानमंत्री के कुछ पसंदीदा व्यापारिक समूहों को समृद्ध करने के लिए बनाई गई हैं। अर्थव्यवस्था में चंद लोगों के एकाधिकार बढ़ रहे हैं। भारत के पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर लोगों की हिस्सेदारी है, लेकिन नियामकों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठे हैं।’’

उसने कहा कि जीएसटी को सरल बनाने की जरूरत है।

कार्य समिति ने कृषि और ग्रामीण रोजगार की ‘‘घोर उपेक्षा’’ के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की।

उसने कहा, ‘‘कार्य समिति तत्काल सुधार के लिए उपाय करने की मांग करती है, जिनमें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, लागत के अतिरिक्त 50 प्रतिशत एमएसपी तय किया जाना और मनरेगा के लिए पर्याप्त धन के साथ-साथ इसकी मजदूरी दर को 400 रुपये प्रति दिन तक बढ़ाना शामिल है।’’

कार्य समिति ने यह दावा भी किया कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के संबंध में विदेश मंत्री की जो घोषणा हुई है वो अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल करने के भारत के घोषित लक्ष्य से बेहद कम है और दशकों में लगे देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके को दर्शाता है।

उसने मांग की, ‘‘सरकार विपक्ष को विश्वास में ले और वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के संबंध में संसद में व्यापक चर्चा होने दे।’’

कांग्रेस कार्य समिति ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार से उनकी सुरक्षा और बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ काम करने का पुरजोर आग्रह करते हैं।’’

कार्य समिति में कांग्रेस संगठन में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘‘यह स्वीकार करते हुए कि संगठनात्मक बदलाव एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, इसे अब तेज और तीव्र किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव के मुताबिक, कार्य समिति अगले 100 दिनों के भीतर होने वाले ‘संगठन सृजन’ कार्यक्रम के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की पहल की सराहना करती है।

कार्य समिति ने यह भी कहा, ‘‘कांग्रेस ‘जय भीम जय संविधान’ अभियान शुरू करेगी। इस अभियान की शुरुआत 27 दिसंबर को बेलगावी में एक रैली से होगी। इसका समापन 26 जनवरी, 2025 को – संविधान लागू होने और गणतंत्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर – महू में एक रैली से होगा।’’

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘महात्मा गांधी की विरासत के साथ-साथ संविधान को संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता को देखते हुए, यह आंदोलन 26 जनवरी, 2025 से आगे भी बढ़ेगा।’’

बैठक में यह फैसला भी किया गया है कि अप्रैल 2025 के पहले या दूसरे हफ़्ते में गुजरात में कांग्रेस का सत्र आयोजित किया जाएगा।

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