नयी दिल्ली, 2 अगस्त : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि भारत बायोटेक ने शुरू में कोवैक्सीन के पेटेंट आवेदन में सह-आविष्कारकों के रूप में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) का उल्लेख नहीं किया था और सरकार द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद सुधार किया. कोवैक्सीन एक कोविड टीका है जिसे आईसीएमआर, एनआईवी और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था.
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में नड्डा ने यह भी कहा कि आईसीएमआर को भारत बायोटेक से कोवैक्सीन के लिए रॉयल्टी के रूप में लगभग 172 करोड़ रुपये मिले हैं. तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने पूछा था कि क्या सरकार ने पेटेंट आवेदन में आईसीएमआर और एनआईवी के नामों का उल्लेख नहीं करने के लिए कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई की है, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने विस्तृत जवाब दिया. यह भी पढ़ें : अरिजीत सिंह ने ब्रिटेन में होने वाले कार्यक्रम को स्थगित किया, नयी तारीखें साझा की
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के विकास के लिए आईसीएमआर, एनआईवी और भारत बायोटेक के बीच एक संयुक्त समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है. नड्डा के अनुसार, जब भारत बायोटेक ने पेटेंट आवेदन दायर किया, तो आवेदन में केवल उसका नाम था, लेकिन जैसे ही सरकार और आईसीएमआर को इसके बारे में पता चला तो हमने उनसे इस बारे में सवाल किया. मंत्री ने कहा, आपत्ति जताए जाने के बाद आवेदन में सुधार कर लिया गया. नड्डा ने कहा कि भारत बायोटेक की ओर से बताया गया कि अनजाने में आईसीएमआर-एनआईवी का उल्लेख छूट गया था और सुधार करने के बाद आवेदन पेटेंट कार्यालय में दाखिल किया गया.