देश की खबरें | यूपीएससी से कोविड-19 के बीच सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा कराने की तैयारियों पर जानकारी तलब
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 28 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी हो रही वृद्धि और देश के कई हिस्सों में बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर चार अक्ट्रबर को होने वाली सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियों के बारे में उसे कल तक अवगत कराया जाये।

यूपीएससी ने कोविड-19 महामारी और बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के बावजूद सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा को स्थगित करने के लिये दायर याचिका का न्यायालय में विरोध किया।

यह भी पढ़े | Unlock 5.0: जल्द हो सकती है अनलॉक 5.0 की घोषणा, मिल सकती हैं ये छूट, सिनेमा हॉल-टूरिज्म पर सबकी नजर.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये यूपीएससी से कहा, ‘‘आप कल तक हलफनामा दाखिल कीजिये। आपने जो भी तैयारियां की हैं उनकी जानकारी संक्षिप्त हलफनामे में दें।’’

यूपीएससी के वकील ने कहा कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी और अब इन्हें टालना असंभव है।

यह भी पढ़े | Bihar Assembly Elections 2020: बिहार की राजनीति में लौटा ‘भाभीजी’ का ग्लैमर, RJD में शामिल हुई लवली आनंद, कभी जनसभाओं में उमड़ती भीड़ से दिग्गजों को दे चुकी हैं टेंशन.

यूपीएससी के वकील ने कहा, ‘‘ये भारत सरकार की मुख्य सेवाओं के लिये परीक्षा है। अनेक अभ्यर्थी पहले ही परीक्षा के लिये अपने ई-प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके हैं।’’

पीठ ने यूपीएससी के वकील से कहा कि अपने हलफनामे की एक प्रति इस परीक्षा को स्थगित कराने के लिये याचिका दायर करने वाले वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश और 19 अन्य अभ्यर्थियों के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव को दें।

न्यायालय ने 24 सितंबर को कहा था कि कोविड-19 महामारी और बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने के लिये दायर याचिका पर 28 सितंबर को सुनवाई की जायेगी। साथ ही उसने याचिकाकर्ता को संघ लोकसेवा आयोग के वकील और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने केन्द्रीय एजेन्सी के वकील को ईमेल और ऑनलाइन माध्यम से याचिका की प्रति देने की छूट भी प्रदान की थी।

याचिकाकर्ताओं ने कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी होने और देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की स्थिति में सुधार होने तक दो-तीन महीने के लिये ये परीक्षायें स्थगित करने का अनुरोध किया है।

याचिका में दलील दी गयी है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परिवर्तित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा कराने का निर्णय याचिकाकर्ताओं और उनकी ही तरह के दूसरे व्यक्तियों को जनता की सेवा करने के लिये अपना पेशा चुनने के बारे में संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) में प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन करता है।

याचिका के अनुसार सात घंटे की ऑफलाइन परीक्षा में देश के 72 शहरों में बने परीक्षा केन्द्रों में करीब छह लाख अभ्यर्थी हिस्सा लेंगे।

याचिका के अनुसार सिविल सेवाओं में भर्ती के लिये आयोजित होने वाली यह परीक्षा शैक्षणिक परीक्षा से भिन्न है और अगर इसे कुछ समय के लिये स्थगित किया जाता है तो इससे किसी प्रकार के शैक्षणिक सत्र में विलंब होने जैसा सवाल नहीं उठता है।

याचिका में कहा गया है कि अभ्यर्थियों के गृह नगर में परीक्षा केन्द्र नहीं होने की वजह से कई परीक्षार्थियों को रहने के लिये पीजी की सुविधा और सुरक्षित स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक अकल्पनीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

अनूप

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)