नयी दिल्ली, आठ जून उद्योग जगत ने उम्मीद जताई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को यथावत रखने के फैसले से आगे दरों में कटौती का रास्ता खुलेगा।
मुद्रास्फीति नरम पड़ने के बीच आरबीआई ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है।
मई, 2022 के बाद से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि करने के बाद अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने इस सिलसिले को रोक दिया था।
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि इस विराम से वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। “हम आर्थिक वृद्धि बनाए रखने और मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने के लिए सरकार और आरबीआई के निरंतर सहयोग की उम्मीद करते हैं।”
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष सुभ्रकांत पांडा ने कहा कि नीतिगत दरों को यथावत रखने की पहले से ही उम्मीद थी। दरों में बदलाव नहीं करके आरबीआई वृद्धि को बढ़ावा देते हुए महंगाई पर लगातार नजर रखे हुए है।
एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि जब मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने पर ध्यान है, तो ‘हमें विश्वास है कि आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता बनी रहे और ऋण वृद्धि मजबूत रहे।’
एसोचैम ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए प्रीपेड रुपे विदेशी मुद्रा कार्ड जारी करने की अनुमति देना, विदेशी मुद्रा बाजार में अधिकृत व्यक्ति के लिए फेमा के अंतर्गत दिशानिर्देशों का सरलीकरण करना और भारत बिल भुगतान प्रणाली को सरल बनाने जैसे अन्य कदमों की भी सराहना की।
हाउसिंग.कॉम समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला विशेष रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र की दृष्टि से अच्छा है।
एचबिट्स के संस्थापक शिव पारेख ने कहा कि आरबीआई के फैसले के तत्कालिक प्रभाव उतने नहीं होंगे, लेकिन इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिरता की स्थिति आएगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)