नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर भारत मजबूत घरेलू बुनियादी और मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीद के बीच चालू वित्त वर्ष (2023-24) में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
वित्त मंत्रालय की सितंबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि फारस की खाड़ी में हालिया घटनाक्रमों से वैश्विक अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं। इन घटनाक्रमों से आगे कच्चे तेल के दाम में उछाल आ सकता है।
इसके अलावा अमेरिका में सख्त मौद्रिक नीति (रिपोर्ट में मौद्रिक नीति को और सख्त करने से इनकार नहीं किया गया है) और अमेरिकी प्रतिभूतियों की आपूर्ति बहुत अधिक रहने की वजह से वित्तीय स्थिति ‘तंग’ हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान स्तर पर अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट का जोखिम अधिक है और अगर ऐसा होता है तो इसका प्रभाव दुनिया अन्य बाजारों पर भी पड़ेगा।
हालांकि, रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण उज्ज्वल है और यह मजबूत घरेलू बुनियादी पर आधारित है। निजी खपत के साथ-साथ निवेश मांग भी मजबूत हो रही है।
रिपोर्ट कहती है कि भारत में औद्योगिक क्षमता के इस्तेमाल में सुधार हुआ है और साथ ही संपत्ति बाजार भी अच्छी स्थिति में दिख रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलाशय के स्तर में सुधार आगामी रबी सत्र के लिए अच्छा संकेत है। मुख्य मुद्रास्फीति लगातार घट रही है जबकि खाद्य मुद्रास्फीति कम हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया, “अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के अनुमान भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत 2023-24 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।”
आईएमएफ ने अक्टूबर में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वैश्विक वृद्धि अनुमान को तीन प्रतिशत पर कायम रखते हुए भारत के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 0.2 प्रतिशत बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह वैश्विक अनिश्चितताओं और ताजा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच वैश्विक विश्लेषकों के भारत की आर्थिक ताकत पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
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