जरुरी जानकारी | भारत ने बीते साल कोयला आयात पर 3.85 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर भारत ने पिछले साल यानी 2022 में कोयला आयात पर 3.85 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं। सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी।

हालांकि, पिछले पांच साल में कुल खपत में कोयले के आयात की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से घटकर 21 प्रतिशत रह गई है, लेकिन भारत हर साल 20 करोड़ टन से अधिक शुष्क ईंधन का आयात कर रहा है, जिसपर भारी विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है।

सरकार ने कहा, “कोयला मंत्रालय का लक्ष्य देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इसका उत्पादन बढ़ाना है। मंत्रालय के प्रयासों के चलते पिछले पांच साल के दौरान कुल खपत में आयात की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से घटकर 21 प्रतिशत रह गई है।”

इस बीच, मंत्रालय ने कहा कि वह वन सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित है और पर्यावरण मंत्रालय के सुझावों को नजरअंदाज कर किसी भी कोयला खदान की नीलामी नहीं की गई है।

उसने कहा कि लेमरू हाथी गलियारे के अंतर्गत आने वाली कोयला खदानों अधिसूचना से हटाने की छत्तीसगढ़ की अपील को स्वीकार कर ली गई है।

राज्य सरकार के अनुरोध पर लेमरू हाथी गलियारा से आगे के क्षेत्रों को भी छूट देने पर विचार किया गया है।

इसमें कहा गया, “छत्तीसगढ़ के लगभग 10 प्रतिशत भंडारण वाले 40 से अधिक नए कोयला ब्लॉकों को कोयला खनन से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है।”

घने हसदेव-अरंड कोयला क्षेत्र में पड़ने वाली नौ कोयला खानों को भी कोयला ब्लॉक नीलामी के अगले दौर से बाहर रखा गया है।

मंत्रालय ने कहा कि इसी तरह तीन लिग्नाइट खदानों को आगे की नीलामी प्रक्रिया से बाहर करने का तमिलनाडु का अनुरोध भी स्वीकार कर लिया गया है।

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