नई दिल्ली, 20 अक्टूबर: दुनिया के तीसरे सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत (India) ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा कि तेल की ऊंची कीमतें वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर डालेंगी. भारत ने सऊदी अरब और ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) के अन्य सदस्य देशों से सस्ती और भरोसेमंद आपूर्ति की दिशा में काम करने को कहा.यह भी पढ़े: Petrol Diesel Price Today: पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी, जानिए आज क्या है कीमत
इस साल मई से कीमतों में वृद्धि के साथ देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गये हैं.पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेरा वीक के ‘इंडिया एनर्जी फोरम’ में कहा, ‘‘अगर ऊर्जा की कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. ’’पिछले साल अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल का दाम टूटकर 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था.
इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये विभिन्न देशों में लगाया गया ‘लॉकडाउन’ था. इससे मांग काफी निचले स्तर पर पहुंच गयी थी. इस साल टीकाकरण के साथ अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज होने से मांग बढ़ी.इससे अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड अब 84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है.उन्होंने कहा कि इससे ईंधन महंगा हुआ है और मुद्रास्फीति की आशंका बढ़ी है.
पुरी ने कहा कि भारत का तेल आयात बिल 2020 में जून तिमाही 8.8 अरब डॉलर था. यह वैश्विक स्तर पर तेल के दाम में तेजी के कारण अब 24 अरब डॉलर पहुंच गया है.उन्होंने कहा, ‘‘भारत का यह मानना है कि ऊर्जा की पहुंच भरोसेमंद, किफायती और टिकाऊ होनी चाहिए. ’’ विनाशकारी महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार अभी नाजुक स्थिति में है तथा ऐसे में तेल के दाम में तेजी से स्थिति और बिगड़ सकती है.
देश अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब दो-तिहाई पश्चिम एशिया से आयात करता है.भारत ने कच्चे तेल उत्पादक देशों से कहा कि तेल की ऊंची कीमत से वैकल्पिक ईंधन अपनाने की गति तेज होगी और यह ऊंची दर उत्पादकों के लिये नुकसादायक साबित होगी.पुरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से न केवल भारत बल्कि औद्योगिक देश भी प्रभावित होंगे.
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