मेलबर्न, चार जून आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बृहस्पतिवार को भारत के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी को ‘‘नये स्तर’’ का द्विपक्षीय सहयोग बताया जो कि द्विपक्षीय विश्वास पर आधारित है। उन्होंने साथ ही मुश्किल समय में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘‘स्थिरता’’ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की।
दोनों नेताओं ने अपने पहले ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जिसमें व्यापार, रक्षा, शिक्षा के साथ ही कोविड-संकट शामिल है।
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शिखर सम्मेलन ऐसे समय आयोजित हुआ जब आस्ट्रेलिया में भयंकर दावानल के चलते मॉरिसन को जनवरी 2020 में अपनी भारत यात्रा रद्द करनी पड़ी थी।
आनलाइन शिखर सम्मेलन की शुरूआत में मॉरिसन ने मोदी को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया और जी-20 एवं हिंद-प्रशांत में उनकी भूमिका के लिए भी उनकी प्रशंसा की। मॉरिसन ने मोदी को एक ऐसा नेता बताया जिन्होंने मुश्किल समय में सकारात्मक कदम उठाये और स्थिरता लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
मॉरिसन ने मोदी के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘यह क्षेत्र के सभी देशों के लिए अत्यंत मुश्किल समय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संबंध बहुत ही सहज है, बहुत स्वाभाविक है, इसमें बहुत समन्वय है...। हमारे लिए वे मूल्य महत्वपूर्ण हैं जो हम बराकरार रखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को उन मूल्यों की क्षेत्र में साथ मिलकर और स्वतंत्र तरीके से रक्षा करने की जरूरत है।
मॉरिसन ने कहा कि दोनों देश आने वाले वर्षों में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं जैसा दोनों ने पूर्व में किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत.. के लिए प्रतिबद्ध हैं और आने वाले वर्षों में उस क्षेत्र में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।’’
उन्होंने कहा कि दोनों देश एक मजबूत सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं और यह समय इस संबंध को और व्यापक और मजबूत बनाने का है।
उन्होंने घोषणा की कि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर एक साझा दृष्टि को लेकर एक संयुक्त घोषणापत्र जारी करेंगे। यह ऐसे समय होगा जब चीन क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है।
चीन का दक्षिण एवं पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने मानव निर्मित द्वीपों का सैन्यकरण करने में काफी प्रगति हासिल की है।
चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है। हालांकि वियतनाम, मलेशिया और फिलिपिन, ब्रूनेई और ताईवान भी इस पर दावा करते हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ विवाद है।
मॉरिसन ने मोदी से कहा, ‘‘हम एक महासागर साझा करते हैं और हम उस महासागर की भलाई और उसकी सुरक्षा के जिम्मेदारी साझा करते हैं। साथ ही हम उन मुद्दों और समुद्री क्षेत्र के लिए संबंध भी साझा करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह कई अन्य मुद्दों के लिए एक मंच हैं जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी व्यवस्था, परस्पर साजोसामान व्यवस्था शामिल है।
मॉरिसन ने कहा, ‘‘ये सभी मौके कई अन्य वाणिज्यिक मौके प्रदान करेंगे जो हमारे रास्ते में आएंगे।’’
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश उस स्तर पर नहीं है जहां उसे होना चाहिए लेकिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है।
उन्होंने कहा कि व्यापारिक संबंध और तेजी से बढ़ सकते हैं और व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) संबंध को नये स्तर पर ले जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आज जो सीएसपी बना रहे हैं वह संबंध का नया स्तर होगा। हम विश्वास बढ़ाएंगे क्योंकि हम ऐसा व्यापार संबंध चाहते हैं जो कि विश्वास पर निर्मित हो।’’
उन्होंने नरेंद्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने कोविड-19 संकट के दौरान आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की देखभाल के लिए आस्ट्रेलियाई सरकार के प्रयासों पर भरोसा जताया ।
मॉरिसन ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, विशेष तौर पर तब जब वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पिछले महीने संगठन डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का प्रभार संभाला था।
मॉरिसन ने दोनों देशों के बीच साइबर और विज्ञान, आधारभूत ढांचा, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्रों में समझौतों को विशिष्ट श्रेणी का करार दिया जो सीएसपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने भारत में कोविड-19 और विशाखापत्तनम में एक संयंत्र में गैस रिसाव से जान गंवाने वाले लोगों के प्रति संवेदना जतायी और कहा कि यह देश के लिए परीक्षा की घड़ी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आभासी शिखर बैठक का जिक्र करते हुए इसे ‘‘भारत आस्ट्रेलिया गठजोड़ का एक नया मॉडल’’ और कारोबार का भी नया मॉडल बताया ।
ऐसा पहली बार हुआ जब मोदी ने किसी विदेशी नेता के साथ आभासी शिखर सम्मेलन किया।
मोदी ने मॉरिसन के साथ अपनी बैठक को ‘अभूतपूर्व’ बताया जिसमें दो सामरिक सहयोगियों के बीच संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की गई।
दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य सेवा, कारोबार और रक्षा क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों को और मजबूत बनाने पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘इस कठिन समय में आपने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय का, और ख़ास तौर पर भारतीय छात्रों का, जिस तरह ध्यान रखा है, उसके लिए मैं विशेष रूप से आभारी हूँ ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी सरकार ने इस संकट को एक अवसर की तरह देखने का निर्णय लिया है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। बहुत जल्द ही जमीनी स्तर पर इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। ’’
मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को और सशक्त करने के लिए यह उपयुक्त समय, उपयुक्त मौक़ा है तथा अपनी दोस्ती को और मज़बूत बनाने के लिए हमारे पास असीम संभावनाएँ हैं ।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ कैसे हमारे संबंध अपने क्षेत्र के लिए और विश्व के लिए एक ‘स्थिरता का कारक’ बनें, कैसे हम मिल कर वैश्विक बेहतरी के लिए कार्य करें, इन सभी पहलुओं पर विचार की आवश्यकता है । ’’
वहीं, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने जी 20 सहित अन्य मंचों पर रचनात्मक एवं काफी सकारात्मक भूमिका के लिये मोदी की सराहना की जिसमें कोरोना वायरस से निपटने के लिये वैश्विक पहल को आगे बढ़ाने की बात कही गयी।
2017 में विदेश नीति पर अपने श्वेत पत्र में, ऑस्ट्रेलिया ने भारत को "हिंद महासागर के देशों के बीच विशिष्ट समुद्री शक्ति" और "ऑस्ट्रेलिया के अग्रिम स्तर के साझेदार" के रूप में मान्यता दी।
द्विपक्षीय आर्थिक संबंध भी पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गया है।
पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देश समुद्री सहयोग के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
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