
नयी दिल्ली, 31 जनवरी भारत को वृद्धि की ऊंची रफ्तार को बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है। शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में यह बात कही गई है।
समीक्षा में कहा गया, ''भारत को उच्च वृद्धि दर बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में अवसंरचना निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है।''
समीक्षा कहती है कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में आम चुनावों और मानसून के कारण बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च प्रभावित हुआ। हालांकि, पिछले साल जुलाई और नवंबर के बीच पूंजीगत व्यय की गति तेज हुई।
दस्तावेज में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र का पूंजीगत व्यय, वित्त वर्ष 2019-20 के पूंजीगत व्यय का लगभग 3.3 गुना तय किया गया है।
इसमें आगे कहा गया कि आपदा से सुरक्षित शहरीकरण, सार्वजनिक परिवहन, विरासत स्थलों, स्मारकों और पर्यटन स्थलों के संरक्षण की जरूरत है। साथ ही संपर्क सहित ग्रामीण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान देना होगा।
समीक्षा में कहा गया, ‘‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए हमारी प्रतिबद्धताओं के तहत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बनाने पर अतिरिक्त जोर दिया गया है।’’
इसमें कहा गया कि सरकार के विभिन्न स्तर पर बाध्यकारी बजटीय बाधाएं हैं।
आर्थिक समीक्षा कहती है कि कार्यक्रम और परियोजना नियोजन, वित्तपोषण, निर्माण, रखरखाव, मौद्रीकरण तथा प्रभाव आकलन जैसे कई तरीकों से बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी भागीदारी बढ़ानी चाहिए।
सरकार ने इस दिशा में राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन और पीएम-गति शक्ति जैसे कई पहल शुरू की हैं। साथ ही वित्तीय बाजार के नियामकों ने निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए हैं।
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