नयी दिल्ली, 11 जून केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत निश्चित रूप से कोविड-19 प्रसार के ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण’’ के चरण में नहीं है। वहीं, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले और इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 357 मरीजों की मौत हुई और संक्रमण के 9,996 मामले सामने आये। कोरोना वायरस संक्रमण से किसी एक दिन में होने वाली मौत का यह सर्वाधिक आंकड़ा है। इसके साथ ही, देश में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 8,102 हो गई, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ कर 2,86,579 हो गये हैं।
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भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने प्रेस वार्ता में कहा कि कोविड-19 के प्रसार पर भारत के प्रथम ‘सीरो-सर्वेक्षण’ में यह पाया गया है कि लॉकडाउन और निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण की तीव्र वृद्धि रोकने में सफल रहे हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है।
भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण के दो हिस्से हैं, प्रथम हिस्से में ‘सार्स-कोवी-2’ से संक्रमित सामान्य आबादी के हिस्से का अनुमान लगाया गया है। वहीं, दूसरे हिस्से में आबादी के उस हिस्से को रखा गया है, जो निरुद्ध क्षेत्रों या संक्रमण के अधिक मामलों वाले शहरों में सक्रमित हुए हैं।
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उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण का पहला हिस्सा पूरा हो गया है जबकि दूसरा जारी है। यह सर्वेक्षण आईसीएमआर ने राज्य स्वास्थ्य विभागों, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ समन्वय कर मार्च में शुरू किया था।
भार्गव ने कहा कि अध्ययन में कुल 83 जिलों और 26,400 लोगों को शामिल किया गया।
देश में 25 अप्रैल को कोविड-19 के सामने आये मामलों के आधार पर इन जिलों का चयन किया गया।
मीडिया को साझा की गई जानकारी में कहा गया है कि 65 जिलों से आंकड़ों का संकलन कर लिया गया है।
भार्गव ने कहा कि सीरो-सर्वेक्षण में पाया गया कि सर्वेक्षण किये गये जिलों में आबादी का 0.73 प्रतिशत सार्स-सीओवी-2 की चपेट में अतीत में आ चुका है।
उन्होंने सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लॉकडाउन लागू किये जाने और संक्रमण वाले स्थानों को निरुद्ध क्षेत्र घोषित करने के उपाय संक्रमण को कम रखे हुए हैं और ये उपाय इसे तेजी से फैलने से रोक रहे हैं।’’
भार्गव ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में आबादी के इसकी चपेट में आने को लेकर अब भी खतरा है और ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में (1.09 गुना) और शहरी झुग्गी बस्तियों में (1.89 गुना) खतरा अधिक है।
इसमें पाया गया कि संक्रमण से होने वाली मौत की दर बहुत कम 0.08 प्रतिशत है और निरुद्ध क्षेत्रों में संक्रमण अलग-अलग दर के साथ अधिक है। हालांकि, सर्वेक्षण अभी जारी है।
उन्होंने कहा कि दो गज की दूरी, मास्क के उपयोग, हाथ बार-बार साबुन से धोने जैसे उपायों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
भार्गव ने कहा कि शहरी झुग्गी बस्तियों में संक्रमण फैलने का अधिक खतरा है और स्थानीय लॉकडाउन की पाबंदियों को जारी रखने की जरूरत है, जैसा कि सरकार ने पहले सलाह दी थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर चला गया है, उन्होंने कहा, ‘‘सामुदायिक स्तर पर संक्रमण शब्द के बारे में काफी चर्चा हुई है। मुझे लगता है कि यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी परि नहीं दी है। हमने यह प्रदर्शित किया है कि भारत एक विशाल देश है, लेकिन फिर भी संक्रमण की मौजूदगी काफी कम हैं।’’
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