नई दिल्ली, 5 जून: पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में सीमित क्षेत्र में मानव और पशुओं की बड़ी आबादी के बावजूद भारत दुनिया की आठ प्रतिशत जैवविविधता बनाये रखने में सफल रहा है क्योंकि ‘‘हमारा स्वभाव प्रकृति के साथ जीने का रहा है.’’ विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की पूर्व संध्या पर एक वीडियो संदेश में जावड़ेकर ने कहा कि भारत में जैवविविधता के संरक्षण में अनेक रुकावटें हैं, मसलन यहां दुनिया के 16 प्रतिशत मनुष्य और 16 प्रतिशत मवेशी दुनिया के ढाई प्रतिशत भूभाग पर रहते हैं.
उन्होंने कहा, "फिर भी हमने दुनिया की आठ प्रतिशत जैवविविधता बनाकर रखी है." पर्यावरण मंत्री ने टेरी द्वारा आयोजित वेबिनार के लिए साझा अपने वीडियो संदेश में कहा, "भारत की संस्कृति प्रकृति के साथ रहने की है. हमारा देश ही एकमात्र ऐसा है जो पेड़ों, पशुओं, पक्षियों सभी की पूजा करता है. हम प्रकृति से प्यार करते हैं. हमारा स्वभाव प्रकृति के साथ जीने का है."
इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘जैवविविधता’ है जिसे किसी पर्यावास या पारिस्थितिकी तंत्र में जीवन की विविधता के रूप में परिभाषित किया जाता है जहां प्रत्येक प्रजाति की विशिष्ट भूमिका होती है. इस संतुलन के बिगड़ने से या प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के परिणाम हानिकारक हो सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि जैवविविधता समाप्त होने से कोविड-19 जैसी नयी संक्रामक बीमारियां उभर सकती हैं.
जावड़ेकर ने यह भी कहा कि भारत उन कुछेक देशों में शामिल है जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की बात को अमल में ला रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमने उत्सर्जन कम करने, हमारी अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने, टिकाऊ जीवनशैली, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण आदि के बारे में एनडीसी के माध्यम से अपने अच्छे लक्ष्य निर्धारित किये हैं.’’
टेरी के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि कोविड-19 संकट ने सरकारों और कारोबारों को, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए स्थितियों को बहाल करने के लिए बाध्य किया है. उन्होंने कहा कि आर्थिक बहाली के रास्ते में जलवायु संबंधी प्राथमिकताओं को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.
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