देश की खबरें | भारत ने ‘ऑनलाइन’ जाकर सभी ‘लाइन’ को खत्म किया: प्रधानमंत्री

गांधीनगर, चार जुलाई देश के लोगों के जीवन को बदलने में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत ने विभिन्न सेवाएं मुहैया कराने के लिए ‘ऑनलाइन’ जाकर सभी ‘लाइन’ (कतारों) को समाप्त कर दिया है।

उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में, डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) पहल, जिसका उद्देश्य सीधे लाभार्थियों को उनके लिंक किए गए बैंक खातों के माध्यम से सब्सिडी या वित्तीय सहायता हस्तांतरित करना है, ने 2,23,000 करोड़ रुपये की बचत की है जो अन्यथा अपात्र लोगों को जा रहे थे।

मोदी ने यहां महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में डिजिटल इंडिया सप्ताह 2022 के उद्घाटन के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बदलते समय के साथ अगर भारत नई प्रौद्योगिकी को नहीं अपनाएगा, तो यह पिछड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि देश ने तीसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान इसका अनुभव किया।

उन्होंने कहा, ‘‘आठ से 10 साल पहले, हमें हर चीज के लिए लाइन (कतारों) में खड़ा होना पड़ता था। हमें जन्म प्रमाणपत्र के लिए, बिल भरने के लिए, राशन के लिए, प्रवेश के लिए, परीक्षा परिणाम के लिए, प्रमाणपत्रों के लिए तथा बैंक में लाइन में खड़ा होना पड़ता था। हम कितनी लाइन में खड़े होते थे? भारत ने ‘ऑनलाइन’ जाकर सभी ‘लाइन’ को खत्म कर दिया है। अब इनमें से अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं।’’

अपनी सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने कहा कि समय उस देश की प्रतीक्षा नहीं करेगा जो आवश्यकता पड़ने पर नई प्रौद्योगिकी को नहीं अपनाता है और देश को तीसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान इसका सामना करना पड़ा।

मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य सरकार द्वारा डिजिटल मोर्चे पर उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा, "लेकिन अब, भारत चौथी औद्योगिक क्रांति - उद्योग 4.0 के बारे में दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है। गुजरात ने इस पहल में भी अग्रणी भूमिका निभाई है, क्योंकि राज्य ने पहले ही डेटा सेंटर, जीएसडब्ल्यूएएन, ई-ग्राम और एटीवीटी जन सेवा केंद्र जैसी पहल की थी।"

उन्होंने कहा कि गुजरात में उन पहलों को शुरू करने का अनुभव डिजिटल इंडिया मिशन की नींव बना।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम को जोड़ने से गरीबों को भ्रष्टाचार से राहत मिली है और यह सभी क्षेत्रों में बिचौलियों को खत्म करने के लिए काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जन धन बैंक खातों, आधार और मोबाइल के संयोजन, जिसे 'जेएएम' कहा जाता है, ने समाज के अन्य वर्गों की तुलना में गरीबों के साथ-साथ मध्यम वर्ग को भी अधिक लाभान्वित किया है।

यह उल्लेख करते हुए कि कैसे डिजिटल इंडिया पहल लोगों का समय बचा रही है, क्योंकि उन्हें अब सरकारी कार्यालयों का दौरा करने की आवश्यकता नहीं है, मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी का एक अनुभव साझा किया, जहां उन्हें पता चला कि मजदूर और गरीब लोग नियमित रेलगाड़ियों के मुकाबले महंगी होने के बावजूद प्रीमियम सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से यात्रा करना पसंद कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "(वाराणसी) स्टेशन मास्टर ने कहा कि ट्रेन दो उद्देश्यों की पूर्ति करती है। यह न केवल सामान रखने के लिए अधिक स्थान प्रदान करती है, यह उनके यात्रा समय के 6 से 8 घंटे भी बचाती है, जिसका उपयोग ये मजदूर अधिक पैसा कमाने के लिए कर सकते हैं। यह अतिरिक्त पैसा (वंदे भारत एक्सप्रेस का) उच्च टिकट किराया आसानी से कवर करेगा। यह (कहावत) का सही उदाहरण है कि समय पैसा है।"

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए मोदी ने कहा कि कई लोगों ने डाकघरों या बैंकों के माध्यम से विधवा पेंशन वितरित करने की उनकी योजना पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि लाभार्थी महिलाओं का राशि लेने के लिए अपने घरों से बाहर आना मुश्किल है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "जब मैं योजना पर अडिग रहा और इसे लागू करना शुरू किया, तो हमें पता चला कि कई अपात्र व्यक्तियों द्वारा विधवा के रूप में पेंशन ली जा रही थी। यही कारण था कि जो लोग मेरे फैसले का विरोध कर रहे थे वे इसे जारी रखना चाहते थे। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का उपयोग कर हमने पिछले आठ वर्षों में वास्तविक लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 23,00,000 करोड़ रुपये जमा किए हैं।"

उन्होंने कहा कि डीबीटी पहल से 2,23,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है जो अन्यथा अपात्र लोगों के पास जा रही थी।

प्रधानमंत्री ने दर्शकों को बताया कि आधार की बायोमेट्रिक जानकारी ने अब तक लगभग 500 खोए हुए बच्चों को खोजने और उन्हें उनके परिवारों से जोड़ने में मदद की है।

उन्होंने कहा, "मई में, हर मिनट लगभग 1.3 लाख यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) लेनदेन हुए, जो एक सेकंड में लगभग 2,200 हो गए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया का 40 फीसदी डिजिटल लेनदेन भारत में हो रहा है। कई देश हमारे डिजिटल उत्पादों जैसे यूपीआई में रुचि दिखा रहे हैं। इन उपकरणों का पैमाना है, ये सुरक्षित हैं और इनका लोकतांत्रिक मूल्य है।"

उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की "दोहरी खुराक" भारत को 'औद्योगिक क्रांति 4.0' में नई ऊंचाइयों को छूने में मदद करेगी।

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने कई नई डिजिटल पहलों जैसे डिजिटल इंडिया भाषिनी, डिजिटल इंडिया जेनेसिस, चिप्स टू स्टार्टअप और माई स्कीम की शुरुआत की।

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