COP28 Summit: भारत ने सीओपी28 स्वास्थ्य और जलवायु घोषणापत्र पर नहीं किया साइन, 124 देशों ने किए हस्ताक्षर
भारत ने रविवार को जलवायु और स्वास्थ्य को लेकर सीओपी28 घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक, दस्तावेज में स्वास्थ्य क्षेत्र में शीतलन के लिए ग्रीनहाउस गैस के उपयोग पर अंकुश लगाने की शर्त थी और शायद यही कारण है कि भारत ने इसपर हस्ताक्षर करने से परहेज किया, क्योंकि अल्पावधि में देश के मौजूदा स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के मद्देनजर इस लक्ष्य को प्राप्त करना व्यावहारिक नहीं था या उसे हासिल नहीं किया जा सकता था.
COP28 Summit: दुबई, तीन दिसंबर भारत ने रविवार को जलवायु और स्वास्थ्य को लेकर सीओपी28 घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक, दस्तावेज में स्वास्थ्य क्षेत्र में शीतलन के लिए ग्रीनहाउस गैस के उपयोग पर अंकुश लगाने की शर्त थी और शायद यही कारण है कि भारत ने इसपर हस्ताक्षर करने से परहेज किया, क्योंकि अल्पावधि में देश के मौजूदा स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे के मद्देनजर इस लक्ष्य को प्राप्त करना व्यावहारिक नहीं था या उसे हासिल नहीं किया जा सकता था. यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन में कतर के शासक से मुलाकात की
घोषणापत्र में ‘‘ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में गहन, तीव्र और निरंतर कटौती से स्वास्थ्य के लिये लाभ प्राप्त करने के लिए जलवायु कार्रवाई का आह्वान किया गया है. इसमें उचित बदलाव, कम वायु प्रदूषण, सक्रिय गतिशीलता और स्वस्थ पोषण शामिल है.’’
रविवार को 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) में पहले स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर घोषणा पत्र में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की गई. इस घोषणा पत्र पर अब तक 124 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जबकि शीर्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में शामिल अमेरिका और भारत हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची में शामिल नहीं हैं.
घोषणापत्र का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण अंतरसंबंध पर गौर करना है. यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से और पर्याप्त कटौती की आवश्यकता पर जोर देता है.
हालांकि, घोषणापत्र का एक महत्वपूर्ण बिंदु स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के भीतर कूलिंग उपकरणों के लिए ग्रीनहाउस गैस के इस्तेमाल को कम करने की प्रतिबद्धता है। सूत्रों ने कहा कि यह ऐसा बिंदु है, जिसका अनुपालन करना भारत के लिए मुश्किल है.
केन्या से आए एक प्रतिनिधि ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों से जूझ रहे देश भारत ने चिंता व्यक्त की है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में ‘कूलिंग’ के लिए ग्रीनहाउस गैस में कटौती से चिकित्सा सेवाओं के लिये बढ़ती मांगों को पूरा करने की क्षमता में बाधा आ सकती है, विशेष रूप से दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में.
भारत ने अपने जी20 घोषणापत्र में लचीले स्वास्थ्य पर जोर दिया था। भारत की जी20 अध्यक्षता की तीन स्वास्थ्य प्राथमिकताएं एक लचीली स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का निर्माण करना, चिकित्सा संबंधी उपायों तक पहुंच में सुधार के लिए एक मंच बनाना और देशों के बीच डिजिटल सामान साझा करने के लिए एक मंच बनाना था.
सीओपी28 घोषणापत्र स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव से निपटने के महत्व को रेखांकित करता है.
इस बीच, ‘ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ एलायंस’ की नीति प्रमुख जेस बीगली ने कहा, दुनिया भर में अग्रणी वैश्विक उत्सर्जकों में से एक और दुनिया की एक अरब आबादी का घर होने के नाते सीओपी28 स्वास्थ्य घोषणा का समर्थन करने वाले 120 से अधिक देशों की सूची से भारत की अनुपस्थिति आश्चर्यजनक है.
उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के प्रभावों और भलाई के लिए जलवायु कार्रवाई के अवसरों पर इस स्तर पर एक राजनीतिक दस्तावेज का समर्थन न करने का निर्णय, भारत और विश्व के लोगों को स्वास्थ्य को लेकर एक चिंताजनक संदेश देता है.’’
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