नयी दिल्ली, आठ जनवरी भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने लोकतंत्र के सिद्धांतों एवं मूल्यों, कानून के शासन और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की बुधवार को पुष्टि की तथा नागरिक समाज के सदस्यों की विविधता एवं स्वतंत्रता की रक्षा करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
दिल्ली में आयोजित 11वें भारत-यूरोपीय संघ मानवाधिकार संवाद में इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई।
एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों, धार्मिक आधार पर नफरत की समस्या का मुकाबला करने, सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने, धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अभिव्यक्ति और विचार रखने की स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।
इसमें कहा गया कि यूरोपीय संघ ने मृत्युदंड को लेकर अपना विरोध दोहराया, जबकि भारत ने विकास के अधिकार को ‘‘विशिष्ट, सार्वभौमिक, अपरिहार्य और मौलिक मानव अधिकार’’ के रूप में मान्यता देने का अपना रुख दोहराया।
भारत उन कुछ देशों में से है, जहां अब भी मृत्युदंड का प्रावधान है।
बयान में कहा गया, ‘‘भारत और यूरोपीय संघ ने बातचीत के दौरान लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन और सभी मानवाधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण के साझा सिद्धांतों और मूल्यों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।’’
इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने सभी मानवाधिकारों की ‘‘सार्वभौमिकता, अविभाज्यता, परस्पर निर्भरता एवं आपसी संबंध’’ पर जोर दिया।
बयान में कहा गया, ‘‘मानवाधिकारों को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए दोनों पक्ष नागरिक समाज के सदस्यों एवं संगठनों और पत्रकारों जैसे अन्य प्रासंगिक हितधारकों की स्वतंत्रता, स्वायत्तता और विविधता की रक्षा करने तथा संगठन बनाने, अभिव्यक्ति एवं शांतिपूर्ण रूप से एकत्र होने की स्वतंत्रता का सम्मान करने की आवश्यकता पर सहमत हुए।’’
दोनों पक्षों ने ‘एलजीबीटीक्यूआई प्लस’ समुदाय, महिला सशक्तीकरण और प्रौद्योगिकी एवं मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर भी गहन चर्चा की।
बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने प्रवासियों और व्यापार एवं मानवाधिकारों के अधिकारों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
इसमें कहा गया, ‘‘भारत और यूरोपीय संघ ने मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार तंत्र को मजबूत करने के महत्व को पहचाना।’’
इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय मंचों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सहयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया।
दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार मानवीय सहायता और आपदा राहत को लेकर सहयोग पर भी चर्चा की।
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