देश की खबरें | वर्ष 2024 में पेपर लीक, परीक्षा रद्द होने की कई घटनाएं हुईं, परीक्षा सुधार के कदम भी उठाये गए

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर वर्ष 2024 में भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक की एक के बाद एक घटनाएं, परीक्षाएं रद्द होना और व्यापक विरोध प्रदर्शन देखे गए। इससे परीक्षाओं की शुचिता और प्रक्रिया को लेकर चिंताएं उत्पन्न हुईं, जबकि सरकार ने एक कठोर कानून अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकना है।

केंद्र ने देश में प्रतियोगी परीक्षा प्रक्रिया में सुधार के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख आर राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की।

पेपर लीक की श्रृंखला में नवीनतम मामला बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा का है। बीपीएससी द्वारा आयोजित 70वीं एकीकृत संयुक्त प्रतियोगी (प्रारंभिक) परीक्षा (सीसीई), 2024 को प्रश्नपत्र लीक के आरोपों के चलते रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी दो सप्ताह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

वर्ष 2024 में पेपर लीक का सबसे बड़ा मामला मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट- स्नातक (यूजी) का था। कथित लीक के कुछ दिनों के भीतर ही एक सुसंगठित सिंडिकेट की संलिप्तता के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए, जिसने छात्रों और कोचिंग सेंटर के एक नेटवर्क के बीच परीक्षा के पेपर प्रसारित किये थे।

इस मामले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने माना कि नीट-स्नातक में लीक हुआ है, लेकिन उसने परीक्षा रद्द करने से मना कर दिया और कहा कि लीक का असर व्यापक नहीं है।

शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि क्या नीट-स्नातक परीक्षा को ‘पेन और पेपर मोड’ में ही आयोजित किया जाना चाहिए या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा ‘जेईई-मेन’ और ‘जेईई-एडवांस्ड’ की तरह कंप्यूटर आधारित परीक्षा में परिवर्तित किया जाना चाहिए।

नीट-यूजी परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि गृह मंत्रालय को यह जानकारी मिली थी कि परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया है।

नीट-स्नातकोत्तर (पीजी) और सीएसआईआर-यूजीसी नेट को भी इस आशंका के आधार पर रद्द कर दिया गया था कि उनमें भी गड़बड़ी हो सकती है।

सिर्फ राष्ट्रीय परीक्षाएं ही नहीं थीं, जिनमें दिक्कतें आयीं। कई राज्य स्तरीय परीक्षाएं भी लीक से प्रभावित हुईं। उत्तर प्रदेश में, समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) परीक्षा में लीक के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) आलोचनाओं के घेरे में आ गया।

इसके अलावा, राज्य को इसी तरह के एक घोटाले के कारण फरवरी में 60,000 से अधिक पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने सख्त कानून बनाया, जिसमें पेपर लीक में शामिल लोगों के लिए जेल की सजा और भारी जुर्माना शामिल है।

तमिलनाडु और महाराष्ट्र को भी अपनी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और पुलिस भर्ती परीक्षाओं को लेकर बड़े विवादों का सामना करना पड़ा। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को पेपर लीक के चलते मई 2023 में राजस्व अधिकारी ग्रेड 2 और कार्यकारी अधिकारी वर्ग 4 की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं। पुनः परीक्षा मार्च 2025 में आयोजित की जाएगी।

परीक्षा सुधारों पर काम कर रही केंद्र की समिति ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) में आमूल-चूल परिवर्तन का सुझाव दिया, जिसके बाद शिक्षा मंत्रालय ने इसे भर्ती परीक्षाओं के बजाय प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन तक सीमित कर दिया।

समिति द्वारा की गई सिफारिशों में परीक्षा में अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने को रोकने के लिए एक डीआईजीआई-परीक्षा प्रणाली, बहु-चरणीय और बहु-सत्रीय परीक्षा, परीक्षा केंद्र आवंटन नीति, प्रत्येक जिले में सुरक्षित परीक्षा केंद्र और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सचल परीक्षा केंद्र स्थापित करना शामिल हैं।

सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को भी आगे बढ़ाया, जिसे 9 फरवरी को राज्यसभा ने पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे 6 फरवरी को पारित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने 12 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया।

इस अधिनियम का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और एनटीए सहित अन्य द्वारा आयोजित की जाने वाली सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल को रोकना है।

इसमें नकल रोकने के लिए न्यूनतम तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान है और नकल के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल की कैद और न्यूनतम एक करोड़ रुपये का जुर्माना होगा।

इस कानून से पहले, केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में शामिल व्यक्तियों द्वारा अपनाए गए अनुचित साधनों या किए गए अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट ठोस कानून नहीं था।

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