देश की खबरें | बेअदबी मामले में अदालत ने डेरा के तीन अनुयायियों को तीन साल के लिये जेल भेजा

चंडीगढ़, सात जुलाई पंजाब में 2015 में हुये बेअदबी के मामले में पहली बार सजा सुनाते हुये पंजाब के मोगा जिले की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को डेरा सच्चा सौदा के तीन अनुयायियों को तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है ।

विशेष लोक अभियोजक सुखदेव सिंह ने फोन पर बताया कि प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट राहुल गर्ग की अदालत ने तीनों आरोपियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने जिन तीन लोगों को सजा सुनायी है उनमें बाघापुराना का पृथि सिंह तथा मल्के गांव के अमरदीप सिंह और मिठू सिंह शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि 2015 में हुये बेअदबी मामले में यह पहला मौका है जब किसी दोषी को सजा सुनाई गयी है।

उन्होंने बताया कि हालांकि, मामले के दो अन्य आरोपियों दविंदर सिंह और सतनाम सिंह को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया।

मोगा अदालत का फैसला आने के बाद पंजाब के वित्त मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हरपाल सिंह चीमा ने प्रदेश की पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि वे इस मामले में कभी न्याय सुनिश्चित करना चाहते ही नहीं थे ।

उन्होंने कहा कि लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार बेअदबी के प्रत्येक मामले में न्याय सुनिश्चित कराना चाहती है।

कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर हमला बोलते हुये कहा कि पूरी प्रक्रिया जिससे आरोपियों को सजा सुनायी गयी है, वह उसके शासन में हुयी थी ।

गौरतलब है कि नवंबर 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ के टुकड़े मोगा जिले के मल्के गांव में सड़कों पर बिखरे मिले थे।

पुलिस ने इसके बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए और 295 के तहत मामला दर्ज किया था ।

वर्ष 2018 के अक्टूबर में पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल ने मामले में डेरा सच्चा सौदा के पांच अनुयायियों को गिरफ्तार किया था। इस जांच दल की अगुवाई तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक रणबीर सिंह खटरा कर रहे थे ।

प्रदेश के फरीदकोट जिले में 2015 में बेअदबी के तीन मामले सामने आये थे । ये मामले गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी और हस्तलिखित अपवित्र पोस्टर लगाने और धार्मिक पुस्तक के फटे पृष्ठ बरगड़ी में बिखरे पाए जाने से संबंधित हैं।

इन घटनाओं के कारण फरीदकोट में विरोध प्रदर्शन हुआ था। अक्टूबर 2015 में बहबल कलां में पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कोटकपूरा में कुछ लोग घायल हो गए थे।

यह मामला पंजाब में एक भावनात्मक मुद्दा रहा है और 2017 और 2022 में राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्य चुनावी मुद्दों में से एक था।

मोगा की अदालत के फैसले का स्वागत करते हुये चीमा ने कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल पर आरोप लगाया कि ये दोनों दल बेअदबी मामले में न्याय सुनिश्चित करना चाहते ही नहीं थे ।

मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इन दलों ने अपने शासन के दौरान कुछ नहीं किया । मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने यह सुनिश्चत किया कि दोषियों को सजा मिले ।’’

पंजाब सरकार बेअदबी के सभी मामलों में न्याय सुानिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है ।

हालांकि, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि आम आदमी पार्टी जो दावा कर रही है, वह श्रेय लेने के अलावा और कुछ नहीं है जब सब कुछ उनकी पार्टी के शासन के दौरान हो चुका था ।

उन्होंने कहा, ‘‘मल्के गांव में चार नवंबर 2015 को बेअदबी की घटना हुयी और उसी दिन प्राथमिकी दर्ज की गयी, जब तक कांग्रेस की सरकार नहीं बन गयी तब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुयी ।’’

उन्होंने कहा कि मामले में अक्टूबर 2018 में गिरफ्तारी हुयी और उस वक्त कांग्रेस सत्ता में थी ।’’

राजा ने कहा, ‘‘मामले में 2019 में आरोप पत्र दायर किया गया, मामले में सुनवाई जारी रही और अंतत: अदालत ने आज तीन दोषियों को तीन तीन साल के जेल की सजा सुनायी है ।’’

राजा ने बयान जारी कर कहा, ‘‘यह कांग्रेस की सरकार की कठिन मेहनत का नतीजा है कि मामले में दोषियों को सजा हुयी है।’’

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