देश की खबरें | कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में ‘इंडिया’ गठबंधन की पहल को सफल बनाने का संकल्प लिया गया

हैदराबाद, 16 सितंबर कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की ‘निरंतर एकजुटता’ की शनिवार को सराहना की और कहा कि वह इस गठबंधन की पहल को सफल बनाने के पार्टी के संकल्प को दोहराती है ताकि देश विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति से मुक्त हो तथा लोगों को एक पारदर्शी, जवाबदेह और जिम्मेदार केंद्र सरकार मिले सके।

कार्य समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ध्रुवीकरण और विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस कार्य समिति विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की निरंतर एकजुटता का तहे दिल से स्वागत करती है जिससे भाजपा और प्रधानमंत्री काफी बौखलाए हुए हैं।

इसमें कहा गया कि सीडब्ल्यूसी ‘इंडिया’ की पहल को वैचारिक और चुनावी रूप से सफल बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के संकल्प को दोहराती है ताकि हमारा देश विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति से मुक्त हो, सामाजिक समानता और न्याय में विश्वास रखने वाली ताकतें मजबूत हों और लोगों को एक उत्तरदायी, संवेदनशील, पारदर्शी, जवाबदेह और जिम्मेदार केंद्र सरकार मिले।

कांग्रेस कार्य समिति ने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर में जवानों की शहादत पर देश शोक मना रहा था तब भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा खुद को जी20 की बधाई देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जश्न मनाना ना केवल बेशर्मी की पराकाष्ठा है, बल्कि जवानों की शहादत का अपमान है।

कार्य समिति ने अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे के योगदान और भारत जोड़ो यात्रा के लिए राहुल गांधी की सराहना की।

उसने दावा किया कि राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना प्रधानमंत्री के राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा था।

कार्य समिति ने कहा, ‘‘उनकी संसद सदस्यता फिर से बहाल होने पर सीडब्ल्यूसी गहरा संतोष व्यक्त करती है। क्योंकि इससे सत्य और न्याय की जीत हुई है।’’

कांग्रेस कार्य समिति ने मणिपुर हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को तत्काल हटाने और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करती है।

उसने कहा, ‘‘मणिपुर में सरकार लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने, सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करने, हजारों प्रभावितों और राज्य के शरणार्थियों के लिए इस बेहद गंभीर मानवीय संकट को खत्म करने का प्रयास करे। साथ ही विभिन्न समूहों के बीच बातचीत के लिए एक रूपरेखा तैयार हो।’’

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘कांग्रेस कार्य समिति याद दिलाना चाहती है कि लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने जातिवाद, सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद पर 10 साल के लिए रोक लगाने का आह्वान किया था। लेकिन विडंबना यह है कि भाजपा और इस सरकार द्वारा अपनाई गई विभाजनकारी और भेद-भाव से भरी नीतियों एवं प्रधानमंत्री की चुनिंदा मामलों पर चुप्पी की वजह से पिछले नौ वर्षों में ये तीनों ही समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं।’’

प्रस्ताव में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने गरीबों और कमजोर लोगों, विशेषकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।

कार्य समिति ने आरोप लगाया, ‘‘संसद के अंदर और बाहर भाजपा नेताओं का राजनीतिक भाषण समाज में जहर घोलने वाला होता है। उनके बयान नफरत फैलाने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले होते हैं...विरोधियों के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। भाजपा सरकार ने सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांतों और प्रथाओं को नष्ट कर दिया है।’’

कार्य समिति ने कहा कि वह मोदी सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मांगों के मुद्दों पर किसानों एवं किसान संगठनों से किए गए वादों की याद दिलाती है।

कार्य समिति ने कहा कि किसान बढ़ते कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, जबकि नोटबंदी की मार और सरकार से किसी भी तरह का सहयोग न मिलने के कारण लघु एवं मझोले उद्योग सबसे खराब दौर में हैं। यह भी आरोप लगाया कि निर्यात बाजार सिकुड़ गया है और निर्यात में गिरावट आई है।

कार्य समिति ने दावा किया कि निवेश और उपभोग का इंजन मंद पड़ा हुआ है और सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में विफल रही है जिसके कारण आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक बना हुआ है। कार्य समिति ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस सरकार की एकमात्र चिंता सिर्फ ‘हेडलाइन प्रबंधन’ की है।

कार्य समिति ने कहा कि वह बढ़ती बेरोज़गारी और विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है।

प्रस्ताव में कहा गया कि कार्य समिति ‘नए संविधान’ के लिए शुरू की गई चर्चा और दुर्भावना से भरे तर्कों को सिरे से खारिज करती है।

कार्य समिति ने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री एक तरफ दुनिया को महात्मा गांधी को लेकर उपदेश देते हैं, तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ अपमानजनक का इस्तेमाल करने वालों और उनकी विरासत पर हमला करने वालों को खुली छूट देते हैं।’’

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