नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह दिल्ली एअरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में 4,600 करोड़ रुपये का भुगतान करने के फैसले को लागू करे तथा तीन महीनों के भीतर इसका निपटारा करे।
डीएएमईपीएल सुरक्षा मुद्दों को लेकर एअरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के परिचालन से पीछे हट गया था।
एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने रिलायंस इंफ्रा की डीएएमईपीएल के पक्ष में फैसला सुनाया था और उसके इस दावे को मंजूर किया था कि जिस रास्ते से ट्रेन गुजरेगी, उसमें संरचनात्मक खामियों के कारण इस लाइन पर मेट्रो चलाना व्यवहार्य नहीं है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि फैसले को लागू करने के संबंध में कानून सरकार या उसके वैधानिक निगमों के लिए अलग नहीं हैं। पीठ ने कहा कि डीएएमईपीएल के पक्ष में मध्यस्थता अदालत का फैसला अंतिम रूप ले चुका है।
पीठ ने कहा, ‘‘सामान्य परिस्थितियों में हम इस मामले की सुनवाई नहीं करते। याचिकाकर्ता के पक्ष में दिया मध्यस्थता अदालत का फैसला अंतिम रूप ले चुका है, क्येांकि प्रतिवादी द्वारा दायर अपील खारिज कर दी गयी है।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘सरकार या वैधानिक संगठनों के लिए कानून का क्रियान्वयन अलग नहीं है। अत: हम उच्च न्यायालय को तेजी से आगे बढ़ने और तीन महीने की अवधि में इस मामले को तार्किक अंत देने का निर्देश देते हैं।’’
शीर्ष न्यायालय डीएमआरसी द्वारा डीएएमईपीएल को भुगतान करने के फैसले को लागू करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
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