इस्लामाबाद, 29 मई पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि नकदी संकट से जूझ रहे देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए अगले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है।
पाकिस्तान अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बार-बार अंतरराष्ट्रीय मदद मांग रहा है। इस मुद्दे पर कतर की राजधानी दोहा में उसकी आईएमएफ के साथ बातचीत हो रही है।
इस्माइल ने शनिवार को नटशेल कॉन्फ्रेंसेज और कॉरपोरेट पाकिस्तान ग्रुप द्वारा ‘अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय संवाद: पाकिस्तान के लिए आगे की राह’ पर आयोजित एक वेबिनार में कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान की सरकार वैश्विक पूंजी बाजार से नए विदेशी ऋण लेने की नहीं सोच रही है। पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय बांड का मूल्य करीब एक-तिहाई गिर जाने के बाद सरकार सजगता दिखा रही है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के बजाय महंगाई पर नियंत्रण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति नियंत्रण से आर्थिक वृद्धि की राह आसान होगी।’’
इस्माइल ने जरूरी बाह्य वित्तपोषण का ब्योरा देते हुए कहा कि पाकिस्तान को अगले वित्त वर्ष में 21 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। इसके अलावा देश को चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 10-15 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
सरकार अगले साल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को पांच अरब डॉलर बढ़ाकर 15 अरब डॉलर करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। उन्होंने कहा कि देश को अगले वित्त वर्ष में 36-37 अरब डॉलर के विदेशी वित्तपोषण की जरूरत होगी।
इस्माइल ने दोहा में 18 मई से आईएमएफ के साथ शुरू हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि छह अरब डॉलर मूल्य के आईएमएफ ऋण कार्यक्रम का हिस्सा बनना मौजूदा हालात में जरूरी हो गया है।
सऊदी अरब ने नकदी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत करने और अपनी बीमार अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए लगभग आठ अरब डालर का ‘बड़ा पैकेज’ देने पर सहमति जताई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सऊदी अरब यात्रा के दौरान यह सहमति जताई गई।
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