नयी दिल्ली, छह नवंबर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अवैध खनन मामले में झारखंड में छापेमारी के दौरान साहिबगंज के पूर्व जिला खनन अधिकारी विभूति कुमार से 13 लाख रुपये से अधिक की नकदी और लगभग 52 लाख रुपये के आभूषण जब्त किए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एजेंसी ने उस मामले के सिलसिले में 20 स्थानों पर तलाशी अभियान शुरू किया था, जिसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सहयोगी पंकज मिश्रा का नाम भी प्राथमिकी में दर्ज नामजद आरोपियों में हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई के दलों ने अभियान के दौरान अब तक 75 लाख रुपये जब्त किए हैं, जिसमें कुमार के परिसरों से जब्त की गई राशि भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि नकदी और आभूषणों के अलावा सीबीआई ने कुमार के परिसरों से 11 लाख रुपये के निवेश, करोड़ों रुपये की सात संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और लगभग 10 लाख रुपये की सावधि जमा रसीदें भी जब्त की हैं।
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से मुकाबला है।
एजेंसी ने झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश पर 20 नवंबर, 2023 को मामला दर्ज किया था।
सीबीआई की रांची शाखा द्वारा पिछले साल 20 नवंबर को दर्ज प्राथमिकी में मिश्रा, पवित्र कुमार यादव, राजेश यादव, संजय कुमार यादव, बच्चू यादव, संजय यादव और सुवेश मंडल को नामजद किया है। केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक ये आरोपी साहिबगंज के नींबू पहाड़ से पत्थर की ‘चोरी और अवैध खनन’ में कथित तौर पर शामिल हैं।
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जांच के दौरान खुलासा हुआ कि साहिबगंज जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन गतिविधियों के कारण सरकार को काफी नुकसान हुआ है, मुख्य रूप से रॉयल्टी का भुगतान न किए जाने और खनन कानूनों के उल्लंघन के कारण।’’
उन्होंने बताया कि उन संदिग्धों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है जिनकी भूमिकाएं जांच के दौरान सामने आई है।
उन्होंने बताया कि जांच से पता चला कि आरोपी और कुछ संस्थाएं इस पूरे घटनाक्रम में कथित रूप से संलिप्त थीं।
झारखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को साहिबगंज पुलिस द्वारा नामजद आरोपियों के आचरण के साथ ही याचिकाकर्ता बिजय हंसदा के आचरण की भी प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने रिट याचिका वापस लेने का अनुरोध किया था।
अदालत ने हंसदा की याचिका पर यह आदेश जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पिछले ढाई साल से ‘पत्थर माफिया’ उनके जिले के खनन अधिकारियों समेत सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से ‘अवैध खनन’ कर रहे हैं।
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