अगर हमने घोटाले किए तो जांच क्यों नहीं करती कर्नाटक की कांग्रेस सरकार: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस को अपने शासन में राज्य में कथित तौर पर हुए ‘21 घोटालों’ की जांच करने की शनिवार को चुनौती दी.
बेंगलुरु, 20 जुलाई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस को अपने शासन में राज्य में कथित तौर पर हुए ‘21 घोटालों’ की जांच करने की शनिवार को चुनौती दी. पार्टी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया नीत सरकार पर कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में हुए 187 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल लोगों को बचाने का आरोप लगाया. कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि भाजपा के शासन में राज्य में 21 घोटाले हुए. आप पिछले 15 महीने से सत्ता में हैं. आपको इन घोटालों की जांच करने में इतना समय क्यों लग रहा है. हम जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं.’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री अशोक ने कहा, ‘‘वाल्मीकि निगम के 88 करोड़ रुपये जिस तरह से ‘खटाखट’ तेलंगाना में अलग-अलग बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए, उसी तरह आपको हमारे ऊपर लगे अनियमितताओं के आरोपों की ‘खटाखट’ जांच करनी चाहिए थी.’’ अशोक ने सिद्धरमैया पर आदिवासी कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र और वाल्मीकि निगम के अध्यक्ष बसनगौड़ा दद्दाल को बचाने के लिए वाल्मीकि निगम और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों पर दोष मढ़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया, ‘‘इन अधिकारियों ने कितनी राशि ली होगी? बहुत मामूली राशि. बड़ी राशि कर्नाटक और तेलंगाना के कांग्रेस नेताओं के पास गई होगी, जहां पार्टी सत्ता में है.’’यह भी पढ़ें : राजस्थान में फर्जी आधार कार्ड बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियान चलाया जाएगा : मंत्री
कथित वाल्मीकि घोटाला तब सामने आया जब 26 मई को निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली. सुसाइड नोट में, चंद्रशेखरन ने आरोप लगाया कि निगम के 187 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में अवैध रूप से स्थानांतरित किए गए थे. इसके बाद कांग्रेस सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसने मामले के सिलसिले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से धन के अवैध स्थानांतरण के संबंध में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भी मामले की जांच कर रहा है. कथित घोटाला सामने आने के बाद इस्तीफा देने वाले नागेंद्र फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं.