रांची, 11 अगस्त : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार कहा कि यदि सृष्टि बचानी है तो आदिवासियों को बचाना आवश्यक है, तभी जल, जंगल और जमीन बच सकेगी. मुख्यमंत्री सोरेन ने द्विदिवसीय ‘झारखंड जनजातीय महोत्सव’ के समापन समारोह में यहां मोरहाबादी मैदान में यह बात कही., उन्होंने कहा, ‘‘आज यदि आदिवासी हैं, तभी जल, जंगल और जमीन बचा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी को यह चिंता नहीं है कि आदिवासियों को कैसे बचाया जाए.
विकास की दौड़ में जल, जंगल और जमीन से बस छेड़छाड़ हो रही है. यही वजह है कि आज ग्लोबल वार्मिंग की विकराल समस्या से हम घिरते जा रहे हैं. इसीलिए अगर सृष्टि को बचाना है तो आदिवासियों को बचाना होगा.’’ मुख्यमंत्री ने लोगों से जनजातीय समाज की पहचान और उनकी आवाज को दूर-दूर तक पहुंचाने का संकल्प लेने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड नदी, जंगलों और पहाड़ -पहाड़ियों से घिरा राज्य है. उन्होंने कहा कि यहां की आदिवासी आबादी इन जंगलों, पहाड़ों और दुर्गम स्थलों पर रह रही हैं. यह भी पढ़ें : पार्थ चटर्जी का अपराध हम सभी को चोर नहीं बनाता: तृणमूल नेता
उन्होंने कहा, ‘‘इन आदिवासी समुदायों के पास आज तक न तो कोई सरकारी अधिकारी पहुंचा और ना ही योजनाएं यहां लागू हो सकीं, लेकिन हमारी सरकार ने ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम के माध्यम से इन दुर्गम और सुदूर इलाकों में रहने वालों के घर पर पहुंचकर उन्हें उनका अधिकार दिया. लोगों को योजनाओं से जोड़ा और मान- सम्मान भी प्रदान किया.’’