
मुंबई, 11 सितंबर : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को कहा कि उन्होंने साबित कर दिखाया है कि पार्टी में एक आम कार्यकर्ता की अहमियत उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से अधिक होनी चाहिए. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल द्वारा सौंपी जा रही एक अहम जिम्मेदारी को लेने से इनकार करने के एक दिन बाद सोमैया ने कहा कि वह पार्टी के एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं और उन्हें किसी भी पद का लालच नहीं है. सोमैया ने “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के साथ संचार प्रमुख” पद की जिम्मेदारी लेने से मंगलवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया था उनसे पहले परामर्श किया जाना चाहिए था. भाजपा की प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रावसाहेब दानवे को लिखे पत्र में मुंबई के पूर्व सांसद सोमैया ने उनके साथ किए गए व्यवहार को ‘अपमानजनक’ बताया.
एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से बातचीत में सोमैया ने कहा, “मुझे किसी पद का लालच नहीं है. बावनकुले और फडणवीस जानते हैं कि मैं कैसे पार्टी के लिए काम कर रहा हूं.... मैं एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं. मैंने साबित कर दिया है कि पार्टी में एक आम कार्यकर्ता का महत्व फडणवीस और बावनकुले से ज्यादा होना चाहिए.” अविभाजित शिवसेना और भाजपा के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हुई घटना को याद करते हुए, जिसमें दोनों दलों ने 2019 का विधानसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ने की घोषणा की थी, सोमैया ने कहा, “संवाददाता सम्मेलन से पहले उद्धव ठाकरे ने अमित शाह से कहा कि अगर मैं इसमें शामिल होता हूं, तो वह इसमें शामिल नहीं होंगे. इसके बाद फडणवीस ने मुझसे संवाददाता सम्मेलन शुरू होने से पहले ही वहां से चले जाने को कहा. उस दिन से मैं एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा हूं, लेकिन मैंने अपनी मेहनत दोगुनी कर दी है.” यह भी पढ़ें : देश की खबरें | उप्र : नेपाली युवती से छेड़छाड़ और चोट पहुंचाने के लिए पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
उन्होंने कहा, “अगर मैं अपनी पार्टी के लिए इतना कुछ कर रहा हूं, तो मुझे अतिरिक्त बोझ, मससन किसी समिति में पद आदि की जरूरत नहीं है. मेरी पार्टी इस पर सहमत हो गई है.” सोमैया के पद लेने से इनकार करने पर मंगलवार को बावनकुले ने पूर्व सांसद को वरिष्ठ नेता बताया. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा में यह नियम है कि हम किसी से पूछते नहीं हैं, जिम्मेदारी सौंप देते हैं. पार्टी ने मुझसे इस बारे में चर्चा नहीं की कि मैं प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहता हूं या नहीं. मुझे सीधे प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.’’