नयी दिल्ली, नौ दिसंबर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को कहा कि 1993 में अपनी स्थापना के बाद से अबतक उसने 23 लाख से अधिक मामले दर्ज किये तथा इस दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों के (मामलों में) पीड़ितों के लिए कुल 256.57 करोड़ रुपये की राहत राशि की सिफारिश की गयी।
आयोग ने एक बयान में कहा कि मंगलवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर यहां आयोजित होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगी।
मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया और घोषित किया गया था।
यूडीएचआर मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक वैश्विक मानक के रूप में कार्य करता है।
यूडीएचआर इस सिद्धांत को दर्शाता है कि सभी मनुष्य स्वतंत्र और समान पैदा होते हैं, उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा, कानून के समक्ष समानता और विचार, विवेक, धर्म, राय तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।
यह सिद्धांत भारत के संविधान और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (पीएचआरए), 1993 में भी परिलक्षित होता है, जिसने 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत की स्थापना के लिए कानूनी ढांचा प्रदान किया।
मानवाधिकार आयोग ने कहा, ‘‘तीन दशक से अधिक समय के दौरान उसने कुल 23,14,794 मामले दर्ज किए और 23,07,587 मामलों का निपटारा किया, जिनमें 2,880 मामले स्वप्रेरित संज्ञान पर आधारित थे। ’’
बयान में कहा गया है कि एनएचआरसी ने पिछले एक साल (एक दिसंबर, 2023 से 30 नवंबर, 2024 तक) के दौरान 65,973 मामले दर्ज किए और 66,378 मामलों का निपटारा किया। इनमें पिछले वर्षों से आगे बढ़ाए गए मामले भी शामिल हैं। आयोग ने 109 मामलों में स्वतः संज्ञान लिया और पिछले वर्ष की इस अवधि के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 17.24 करोड़ रुपये की आर्थिक राहत की सिफारिश की।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)