हरिद्वार, 20 दिसंबर प्रशासन द्वारा ‘धर्म संसद’ के आयोजन को रोके जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को डासना मंदिर के विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद ने यहां श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के मुख्यालय में महायज्ञ किया।
उन्होंने कार्यक्रम में व्यवधान डालने वालों के सर्वनाश की प्रार्थना की तथा कहा कि हिंदुओं की दुगर्ति का कारण उनका अपना कोई देश नहीं होना है। उन्नीस दिसंबर से तीन दिवसीय विश्व धर्म संसद का आयोजन यति नरसिंहानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में किया था लेकिन पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर लगे तंबू उखड़वा दिए थे। यति नरसिंहानंद जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं।
हालांकि, उन्होंने भैरव घाट पर महायज्ञ किया और विश्व धर्म संसद में व्यवधान डालने वाले अधिकारियों और उनके राजनैतिक संरक्षकों के सर्वनाश के लिये नारियल समर्पित किया।
देश भर से आए संतों ने महायज्ञ में हिस्सा लिया और प्रशासन द्वारा वहां किसी धार्मिक सभा के आयोजन की अनुमति न होने का नोटिस चिपकाए जाने के बावजूद अपना संबोधन दिया। अपने संबोधन में यति नरसिंहानंद ने कहा, ‘‘हम हिंदुओं की दुर्गति का सबसे बड़ा कारण हमारा अपना कोई देश न होना है।’’
उन्होंने कहा कि अब विश्व धर्म संसद का मुख्य लक्ष्य सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना होगा जिसमें ‘एक भी मस्जिद, एक भी मदरसा और एक भी जिहादी’ नहीं होगा।
नरसिंहानंद ने कहा, ‘‘सनातन वैदिक राष्ट्र सम्पूर्ण विश्व के प्रत्येक सनातनी का संरक्षण उसी तरह करेगा जैसे इजराइल प्रत्येक यहूदी का करता है।’’
अयोध्या हनुमान गढ़ी के श्रीमहंत राजू दास ने अधिकारियों द्वारा विश्व धर्म संसद का आयोजन रोके जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म के अपमान की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा कि जूना अखाड़े के मुख्यालय में घुसकर विश्व धर्म संसद के आयोजन में व्यवधान डालना दर्शाता है कि अब सनातन धर्म अधिकारियों के लिये मजाक का विषय बन चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से घटना का संज्ञान लेकर ‘निर्लज्ज’ अधिकारियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की।
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