जोधपुर, 25 नवंबर: पाकिस्तान की एक हिंदू शरणार्थी महिला 10 महीने तक पड़ोसी देश में फंसे रहने के बाद मंगलवार को भारत में अपने परिवार मिली. भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वाली जनता माली अपने पति और बच्चों के साथ एनओआरआई वीजा पर फरवरी में पाकिस्तान के मीरपुर खास में अपनी बीमार मां से मिलने गई थीं, लेकिन कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद उन्हें वापस यात्रा करने की अनुमति नहीं मिली क्योंकि उनका वीजा समाप्त हो गया था. उसके बाद वह पड़ोसी देश में फंस गई जबकि उसके पति और बच्चे जुलाई में वापस भारत आ गए.
महिला को अपने पति और बच्चों के साथ ट्रेन में सवार होने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था. एनओआरआई वीजा पाकिस्तानी नागरिकों को दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) पर भारत में रहने के दौरान पाकिस्तान की यात्रा करने और 60 दिनों के भीतर लौटने की अनुमति देता है. सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान हाई कोर्ट को एनओआरआई वीजा खत्म होने के बाद 410 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के पाकिस्तान में फंसे होने की जानकारी दी थी.
पाकिस्तान के अल्पसंख्यक प्रवासियों से संबंधित मुद्दों पर अदालत द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी सज्जन सिंह ने बताया कि ये शरणार्थी दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) पर भारत में रह रहे थे और एनओआरआई वीजा पर लॉकडाउन से पहले पाकिस्तान गए थे. तब गृह मंत्रालय ने कहा था कि इन लोगों को वीजा का विस्तार करते हुए जल्द ही देश वापस लाया जाएगा. सीमांत लोक संघ के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि संगठन ने इस मुद्दे को राजस्थान सरकार के साथ-साथ केंद्र तक पहुंचाया था.
उन्होंने कहा, 'हमने सरकार से आग्रह किया है कि ऐसे सभी लोगों की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया जाए, जो अपने एनओआरआई वीजा की अवधि समाप्त होने के कारण पाकिस्तान में फंसे हुए हैं. सोढ़ा ने आगे कहा कि छह महीने के संघर्ष के बाद हम माली को वापस लाने में सफल रहे, जो लॉकडाउन के कारण पाकिस्तान में फंस गई थीं.
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