शिमला, 8 जनवरी : सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश मंत्रिपरिषद का रविवार को विस्तार किया गया. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह समेत सात मंत्रियों को इसमें शामिल किया गया है. इन सात मंत्रियों के शामिल होने के साथ मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में एक सादा समारोह में नवनियुक्त मंत्रियों को शपथ दिलाई. सात विधायकों वाले शिमला जिले को तीन मंत्रियों और एक मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) के साथ मंत्रिपरिषद में बड़ा हिस्सा दिया गया है, जबकि बिलासपुर, मंडी तथा लाहौल और स्पीति को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. विधानसभा उपाध्यक्ष के पद के अलावा तीन पद अब भी खाली हैं. राज्य मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 से अधिक नहीं हो सकती.
नए शामिल मंत्रियों में पूर्व मंत्री एवं सोलन से तीन बार के विधायक धनीराम शांडिल, पूर्व मंत्री एवं कांगड़ा जिले में जवाली से छह बार के विधायक चंदर कुमार, सिरमौर जिले में शिल्लाई से छह बार के विधायक हर्षवर्धन चौहान और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष एवं जनजातीय किन्नौर जिले से पांच बार के विधायक जगत सिंह नेगी शामिल हैं. इनके अलावा चार बार के विधायक रोहित ठाकुर, तीन बार के विधायक अनिरुद्ध सिंह और दो बार के विधायक विक्रमादित्य सिंह को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है जो क्रमश: जुब्बल-कोटखाई, कसुम्पटी और शिमला (ग्रामीण) से विधायक हैं. मुख्यमंत्री सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने 11 दिसंबर को शपथ ली थी तथा मंत्रिपरिषद का विस्तार इसके 28 दिन बाद हुआ है. मंत्रिपरिषद में पांच राजपूत, एक ब्राह्मण और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से एक-एक सदस्य शामिल हैं. यह भी पढ़ें : अनुराग ठाकुर ने युवा प्रवासियों से भारत में निवेश, नवाचार करने की अपील की
मंत्रिपरिषद विस्तार से पहले मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक सादा समारोह में छह मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) नियुक्त किए और उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इन सीपीएस में कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, शिमला जिले के रोहरू से मोहन लाल बरागटा, सोलन जिले के दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल और कांगड़ा जिले के बैजनाथ से किशोरी लाल और सोलन जिले के अरकी से संजय अवस्थी शामिल हैं. शपथग्रहण समारोह स्थल दरबार हॉल की दो दर्शक दीर्घाएं खचाखच भरी थीं और विधायकों के समर्थकों ने अंदर घुसने की कोशिश की.