देश की खबरें | कैट की कार्यवाही स्थानांतरित करने के खिलाफ पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव की याचिका पर सुनवाई करेगा उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 17 जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलप्पन बंदोपाध्याय की याचिका पर सुनवाई 24 जनवरी को होगी। याचिका में बंदोपाध्याय ने अपने खिलाफ चल रही कार्यवाही से संबंधित आवेदन को कोलकाता से नई दिल्ली स्थानांतरित करने के केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के फैसले को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने कहा कि इस मामले में स्पष्टीकरण की जरूरत है कि याचिका पर सुनवाई दो न्यायाधीशों की पीठ करेगी या एकल पीठ करेगी।

बंदोपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभय के बेहरा ने कहा कि याचिका को खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए, क्योंकि इसने कैट के एक आदेश को चुनौती दी है।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका न्यायमूर्ति खन्ना की एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करना सही है , क्योंकि इसमें कैट के चेयरमैन के प्रशासनिक आदेश को चुनौती दी गई है।

लेकिन न्यायाधीश ने मेहता से कहा, ‘‘आपको इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। मैं अभी नोटिस जारी नहीं कर रहा हूं, इसे पहले स्पष्ट होने दें।’’

मेहता ने संक्षिप्त जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से स्वतंत्रता मांगी और आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता मनपसंद पीठ ढूंढ़ रहा है।

पिछले साल 28 मई को कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन पर चक्रवात यास के प्रभावों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक में भाग लेने से संबंधित मामले में अपने खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही के मामले में बंदोपाध्याय ने कैट की कोलकाता पीठ का दरवाजा खटखटाया था। यह कार्यवाही कार्मिक और लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने शुरू की थी।

केंद्र सरकार ने कैट की मुख्य पीठ में एक स्थानांतरण याचिका दायर की थी जिस पर पिछले साल 22 अक्टूबर को बंदोपाध्याय के आवेदन को नई दिल्ली स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी गयी थी।

शीर्ष अदालत ने छह जनवरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय का वह आदेश रद्द कर दिया था, जिसने कैट के स्थानांतरण आदेश निरस्त किया गया था, लेकिन बंदोपाध्याय को अधिकार क्षेत्र के उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देने की स्वतंत्रता प्रदान की थी।

याचिका में बंदोपाध्याय ने कहा है कि तबादला आदेश प्राकृतिक न्याय, समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करके पारित किया गया था और उन्हें अपनी लिखित आपत्तियां दर्ज करने का अधिकार भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र की याचिका को सुनवाई के पहले ही दिन अनुमति दे दी गई थी। याचिका में सूचित किया गया है कि याचिकाकर्ता आमतौर पर और स्थायी रूप से कोलकाता में रहता है और कार्रवाई का पूरा कारण कैट की कोलकाता पीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है।

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