मुंबई, 25 नवंबर बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महिला द्वारा अपने डॉक्टर पति के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी रद्द कर दी। महिला ने अदालत को बताया कि कोविड-19 की लंबे समय तक ड्यूटी करने के तनाव के बाद उसने प्राथमिकी दर्ज कराई है।
माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर महिला ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ को सूचित किया कि उसकी शादी 20 वर्ष पहले हुई थी और कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में काम के तनाव के कारण उसकी शादीशुदा जिंदगी प्रभावित हुई।
उसने कहा कि प्राथमिकी मार्च में घरेलू हिंसा के आरोपों के तहत दर्ज हुई। उस समय दंपति एक दिन में 18 घंटे तक काम करते थे।
अदालत हालांकि महिला के पति से पूछताछ करना चाहती थी लेकिन पुणे निवासी महिला ने कहा कि उसके पति एक सरकारी अस्पताल में ड्यूटी पर हैं।
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महिला ने अदालत को सूचित किया, ‘‘मार्च और अप्रैल में जब अस्पतालों में कोरोना वायरस से जुड़े कामों का बोझ बढ़ा तो काफी तनाव था। हम प्रति दिन 18 घंटे काम करते थे और इससे काफी गलतफहमियां हुईं।’’
डिजिटल सुनवाई के दौरान उसने पीठ को बताया कि काउंसिलिंग के बाद दो बच्चों वाले दंपति ने साथ- साथ रहने का फैसला किया।
प्राथमिकी को रद्द करते हुए पीठ ने कहा कि यह जानकर ‘‘काफी खुशी’’ हुई कि दंपति ने मतभेदों को सुलझाने और साथ रहने का निर्णय किया।
अदालत ने कहा कि डॉक्टरों के प्रति उसका ‘‘काफी सम्मान’’ है जो महामारी से लड़ने में पूरे देश में दिन-रात काम कर रहे हैं और वह भी अपनी और परिवार की जिंदगी की कीमत पर।
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