देश की खबरें | उच्च न्यायालय का कांगडा के एसपी को कारोबारी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश

शिमला,16 नवंबर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक को पालमपुर के एक कारोबारी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बृहस्पतिवार को निर्देश दिए।

कारोबारी ने अपनी शिकायत में अपने और परिजनों की जान को तथा संपत्ति को खतरा बताया था।

अदालत ने कहा कि प्राथमिकी जांच से पहले दर्ज की जानी चाहिए थी। उच्च न्यायालय ने पुलिस से शिकायकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराने को भी कहा।

इस मामले में बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई और महाधिवक्ता अनूप रतन ने आश्वासन दिया कि शिकायतकर्ता निशांत शर्मा की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। अदालत ने वरिष्ठ वकील नीरज गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है।

यह आदेश कांगड़ा और शिमला के पुलिस अधीक्षकों द्वारा शिकायत पर दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के मद्देनजर आया। अदालत ने 10 नवंबर को इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।

रतन ने कहा कि अदालत ने यह भी सवाल किया कि प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई और महाधिवक्ता के इस जवाब के बाद कि शिकायत के तथ्यों का सत्यापन किया जा रहा है, अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि पहले प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। रतन ने कहा कि मामले में अगली स्थिति रिपोर्ट बुधवार (22 नवंबर) को पेश की जाएगी।

रतन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि शिकायत को तुरंत प्राथमिकी के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए और जांच की जानी चाहिए।

व्यवसायी शर्मा ने शिमला के पुलिस अधीक्षक को दी गई अपनी शिकायत में, अपने साझेदारों से उन्हें, उनके परिवार के सदस्यों और संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया था। शर्मा ने इसके साथ ही 25 अगस्त को गुरुग्राम में उन पर "हमले" की एक घटना का हवाला देते हुए कहा था कि सीसीटीवी फुटेज में हिमाचल प्रदेश के दो प्रभावशाली व्यक्तियों समेत कई लोगों की पहचान की गई जिसमें एक पूर्व आईपीएस अधिकारी शामिल हैं।

शर्मा ने आरोप लगाया, ‘‘हमले के बाद मैं कांगड़ा जिले के पालमपुर आया था लेकिन डीजीपी ने मुझे अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने के लिए मजबूर किया, और उसी दिन दो अपराधियों ने मुझे धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रोका और मेरे ढाई साल के बच्चे और पत्नी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मैं धर्मशाला में कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक के घर गया और उन्हें अपनी स्थिति बताई और उन्हें अपनी शिकायत दी लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है।’’

मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच और डीजीपी समेत अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा था, "यही एकमात्र तरीका है जिससे आप जबरन वसूली करने वालों के इस पूरे गिरोह को पकड़ पाएंगे।"

उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि आरोप झूठे हैं और जांच से सच्चाई सामने आ जायेगी।

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