E-Cigarettes Not To Be Sold: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को ई-सिगरेट के निर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगाने वाले कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने का सोमवार को निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा की अगुवाई वाली पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक (ई) सिगरेट (उत्पादन, निर्माण, निर्यात, आयात, ढुलाई, बिक्री, वितरण, भंडारण व विज्ञापन) रोकथाम अधिनियम 2019 को प्रभावी तौर पर लागू करने की समीक्षा करने के लिए अदालत की निगरानी में एक समिति गठित करने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
पीठ ने रेखांकित किया कि सरकारी मशीनरी कानून के अनुसार कार्रवाई कर रही है जिसमें छापेमारी की कार्रवाई भी शामिल है. हालांकि अदालत ने अधिकारियों को कहा कि वह सुनिश्चित करें कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री न हो। याचिका में यह आरोप लगाया गया था. उसने कहा कि दिल्ली पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि ई-सिगरेट स्कूल व कॉलेजों के आसपास न बिकें. यह भी पढ़े: मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, ई-सिगरेट पर सरकार ने लगाया बैन, कानून तोड़ने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
याचिकाकर्ता विनायक गुप्ता और अनुभव त्यागी ने दलील दी थी कि कानून और इसके कार्यान्वयन की बीच ‘शून्य’ है और उच्च न्यायालय के पांच किलोमीटर के दायरे में ई-सिगरेट उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि जब से कानून अमल में आया है तब से सिर्फ दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. याचिकाकर्ताओं ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जिसमें कहा गया था कि ई-सिगरेट बहुत नुकसानदेह है और यह डीएनए को नुकसान पहुंचाती है.
दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि प्रशासन ई-सिगरेट की बिक्री को लेकर खुद से कार्रवाई कर रहा है. साथ में वह शिकायतों के आधार पर भी कार्रवाई करता है.
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