नयी दिल्ली, 20 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी 24 वर्षीय युवक को ज़मानत दे दी है और कहा है कि बलात्कार के आरोप को साबित करने वाला कोई चिकित्सकीय सुबूत नहीं है। लड़की के साथ युवक का प्रेम प्रसंग था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस बात में कोई विरोधाभास नहीं है कि लड़की नाबालिग है और यौन क्रिया के लिए उसकी सहमति अप्रासंगिक है।
अदालत ने यह भी कहा कि इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि दोनों बार जब कथित रूप से जुर्म को अंजाम दिया गया तो लड़की युवक से मिली थी और बिना किसी डर या मजबूरी के अपनी मर्ज़ी से उसके साथ थी।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी ने कहा, “ (लड़की का) बयान कथित यौन क्रिया के लिए किसी तरह की हिंसा या डराने के बारे में जानकारी नहीं देता है। यह भी देखा गया है कि इस तरह का कोई मेडिकल सुबूत नहीं है जो बलात्कार के अपराध का समर्थन करता हो।”
उच्च न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान सभी गवाहों की गवाही दर्ज की जा चुकी है और याचिकाकर्ता 24 साल का युवक है और वह किसी अन्य आपराधिक मामले में भी लिप्त नहीं है।
यह रेखांकित किया गया कि वह करीब दो साल से न्यायिक हिरासत में है और इस तरह की कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है जिससे संकेत मिले कि वह फरार हो सकता है या गवाहों को धमका सकता है या सुबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
युवक के खिलाफ आरोप जून 2021 और जुलाई 2021 के हैं और उस पर नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
लड़की की मां ने शुरू में पुलिस से कहा था कि उनकी बेटी का उत्पीड़न करने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में कहा कि उनकी पुत्री के साथ कोई अपराध नहीं हुआ है।
अदालत ने कहा कि लड़की की मां के बयानों में विरोधाभास को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने युवक को जमानत प्रदान करते हुए निर्देश दिया कि वह अभियोजन के गवाहों से ना संपर्क करेगा ना उन्हें धमकाएगा और ना ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा।
अदालत ने युवक से यह भी कहा कि वह लड़की या उसके परिवार से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बातचीत नहीं करेगा और ना ही उस इलाके में जाएगा जहां लड़की रहती है।
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