बेंगलुरु, 19 अगस्त कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को विशेष एमपी/एमएलए अदालत को निर्देश दिया कि वह मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन ‘घोटाले’ में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए टाल दे।
उच्च न्यायालय में इस मामले पर अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘कोई स्थगन आदेश नहीं दिया गया है।’’
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘चूंकि, इस मामले की सुनवाई इस अदालत में हो रही है और अभी तक दलीलें पूरी नहीं हुई हैं, इसलिए अगली सुनवाई तक संबंधित अदालत अपनी कार्यवाही स्थगित कर दे।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता क्रमशः मुख्यमंत्री और राज्यपाल की ओर से पेश हुए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर एमयूडीए मामले में उनके खिलाफ मुकदमे को मंजूरी देने से संबंधित राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे, वैधानिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए और मंत्रिपरिषद की सलाह समेत भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया है।
सिद्धरमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत, पूर्वानुमोदन व मंजूरी देने संबंधी 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी।
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय राज्यपाल का निर्णय कानूनी रूप से अस्थिर, प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है, और इसलिए याचिकाकर्ता ने अन्य राहतों के साथ-साथ 16 अगस्त 2024 के विवादित आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की है।’’
आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस भूमि की तुलना में अधिक था, जिसे एमयूडीए ने ‘अधिगृहीत’ किया था। इस मामले में सिद्धरमैया की भूमिका की जांच के लिए कुछ दिन पहले राज्यपाल ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)