नयी दिल्ली, 17 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर वाद पर सुनवाई सोमवार को स्थगित कर दी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कानून के तहत राज्य की पूर्व स्वीकृति के बगैर ही चुनाव के बाद की हिंसा के मामलों की जांच आगे बढ़ा रहा है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा कि मामले में उत्तर और प्रत्युत्तर की प्रक्रिया पूरी हो गई है। पीठ ने इसके साथ ही वाद में अगली सुनवाई फरवरी के तीसरे हफ्ते तक टाल दी। पीठ ने पक्षों को मामले में लिखित दलीलें दायर करने का भी निर्देश दिया है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर इस वाद में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून 1946 के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा है कि सीबीआई कानून के तहत अनिवार्य राज्य सरकार की स्वीकृति के बगैर ही जांच कर रही है और प्राथमिकी दर्ज कर रही है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले संकेत दिया कि वह आज दिन में सुनवाई पूरी कर सकती है। इस पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वाद में संवैधानिक कानून के सवाल उठाए गए हैं और उन्होंने मामले में बहस के लिए दो दिन का वक्त मांगा।
पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्त कपिल सिब्बल ने कहा कि यह अधिकार क्षेत्र का मामला है और इस पर सुनवाई में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
केंद्र ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि पश्चिम बंगाल में सीबीआई द्वारा दर्ज चुनाव बाद हिंसा के मामलों से उसका कोई लेना-देना नहीं है और राज्य सरकार के इस वाद जिसमें उसे एक पक्ष बनाया गया है वह विचार योग्य नहीं है।
वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि सीबीआई संसद के विशेष अधिनियम के तहत स्थापित एक स्वायत्त निकाय होने के नाते वह एजेंसी है जो मामलों को दर्ज कर रही है और जांच कर रही है और इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि सीबीआई को स्वीकृति नहीं देने की पश्चिम बंगाल की शक्ति पूर्ण नहीं है और जांच एजेंसी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ की जा रही जांच या अखिल भारतीय प्रभाव वाली जांच करने की हकदार है।
उच्च न्यायालय के आदेश पर चुनाव बाद की हिंसा के कतिपय मामलों की जांच कर रही सीबीआई ने कई प्राथमिकी दर्ज की हैं।
राज्य सरकार ने कलकत्त उच्च न्यायालय के आदेश पर विधान सभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार ने भविष्य में भी इस तरह की कोई प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
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